उत्तर प्रदेश में बढ़ेगी उद्योग इकाइयों की लागत तो वहीं बढ़ेंगे प्रॉपर्टी के दाम भी
वीरेंद्र सिंह रावत / लखनऊ June 30, 2010
बीते दिनों ईंधन की कीमतों में की गई बढ़ोतरी की तपिश उत्तर प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों को भी झेलनी पड़ेगी। दरअसल बिजली कटौती की वजह से राज्य की औद्योगिक इकाइयां कामकाज के लिए काफी हद तक जेनरेटर पर ही आश्रित रहती हैं। अब ईंधन की कीमतें बढऩे से उनकी लागत में भी बढ़ोतरी होगी।
उद्योग जगत का मानना है कि ईंधन की कीमतें बढऩे से लागत 5 से 10 फीसदी तक बढ़ेगी। इससे उनके मुनाफे में सेंध लग सकती है। पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने सब्सिडी दरों पर ईंधन की बिक्री करने की वजह से निजी क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियों को हो रहे नुकसान को कम करने के लिए पेट्रोल की कीमतों को नियंत्रण मुक्त कर दिया था। हालाकि अब डीजल की कीमतों को नियंत्रण मुक्त नहीं किया गया है मगर पेट्रोल और डीजल दोनों के दामों में बढ़ोतरी की गई है।
उत्तर प्रदेश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमश: 3.69 रुपये और 1.95 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) चैंबर भारतीय उद्योग संगठन के अध्यक्ष अनिल गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'उद्योग पहले से ही बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं और उन्हें अपनी इकाइयां चलाने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों का इस्तेमाल करना पड़ रहा था। अब डीजल की कीमतों में की गई बढ़ोतरी से हमारे मार्जिन पर 5 फीसदी तक दबाव बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार में एमएसएमई क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पद्र्घा है और ऐसे में कंपनियों के लिए अपनी इस बढ़ी हुई लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डालना भी मुमकिन नहीं होगा। गुप्ता ने कहा, 'हमें उत्तराखंड से कड़ी चुनौती मिल रही है जहां कर काफी कम है जबकि उत्तर प्रदेश में 13 फीसदी की दर से कर वसूला जाता है। ऐसे में हमारे मार्जिन पर दबाव पड़ रहा है। गौरतलब है कि राज्य में मांग की तुलना में बिजली की उपलब्धता कम होने की वजह से औद्योगिक संस्थानों को अनियमित विद्युत आपूर्ति झेलनी पड़ रही है। मॉनसून समय पर नहीं आने से राज्य में बिजली की मांग और बढ़ी है।
गाजियाबाद के उद्योगपति अनुपम अग्रवाल बताते हैं कि दिन के समय भी उद्योग इकाइयों को अनियमित बिजली आपूर्ति से जूझना पड़ता है और इस वजह से उनके लिए एक शिफ्ट भी ठीक तरीके से चला पाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा, घंटों जेनरेटर चलाने से हमारे ईंधन का बिल बढ़ेगा और इससे हमारी लागत 10 फीसदी से अधिक बढ़ेगी।
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