यूरो ढाने लगा बनारसी सिल्क पर भी सितम | सिद्धार्थ कलहंस / लखनऊ June 24, 2010 | | | | |
यूरो संकट की मार से बनारसी सिल्क के निर्यातक हलकान हैं। साल की अच्छी शुरुआत से गदगद सिल्क निर्यातक बीते कुछ दिनों से जारी संकट के चलते अपने को अधर में लटका पा रहे हैं।
सिल्क निर्यातकों के पास इस समय यूरोपीय देशों से ऑर्डर की तो भरमार है पर असली संकट तो डिलीवरी को लेकर शुरू हो गया है। क्रिसमस और नए साल पर मिले ऑर्डर की डिलीवरी के लिए यूरोपीय देश के एजेंट आनाकानी कर रहे हैं।
यूरोपीय देशों से मिले झटके के बाद अब बनारस के सिल्क निर्यातक दुनिया के बाकी मुल्कों में बाजार तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि यूरोप और अमेरिका पर हद से ज्यादा निर्भरता आने वाले दिनों में और भारी पड़ेगी।
बनारसी सिल्क के जाने माने निर्यातक और सिनर्जी फैब्रीक्राफ्ट के निदेशक रजत सिनर्जी का कहना है कि फरवरी-मार्च में पेरिस में आयोजित टेक्सवर्ल्ड और जमर्नी के हैनूवर में आयोजित हैनिमेटेक्स ट्रेड फेयर में देश के परिधान निर्माताओं ने जोर-शोर से भाग लिया था और उन्हें ऑर्डर भी मिले थे।
उनका कहना है कि इन ट्रेड फेयर में भाग लेने हर निर्यातक को कम से कम 2-3 करोड़ रुपयों का ऑर्डर मिला था, जिनकी डिलीवरी अब होनी है। रजत का कहना है कि यूरो संकट शुरू होने के बाद अब निर्यातकों के सामने डिलीवरी की दिक्कत पेश आ रही है। उनका कहना है कि ऑर्डर देने वाले अब दाम पर सौदेबाजी कर रहे हैं।
बनारसी परिधान निर्माता कंपनी स्टूडियो माधुरी की माधुरी पाठक का कहना है कि सिल्क परिधानों का ऑर्डर करने वाले या तो डिलीवरी की डेट आगे बढ़ाने को कह रहे हैं या फिर दाम घटाने की पेशकश कर रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार को निर्यातकों के सामने आने वाली दिक्कतों के समाधान के लिए उन्हें तकनीकी कौशल दिलाना होगा, साथ ही उन्हें आयकर में छूट दी जानी चाहिए।
माधुरी का कहना है कि सिल्क निर्यातकों का बेड़ा पार तभी हो सकता है, जब सरकार उन्हें रियायतें दे। रजत का कहना है कि ट्रेड फेयर न केवल इंक्वायरी जनरेट करते हैं बल्कि ऑर्डर मिलने में भी मदद करते हैं। पर विदेशों में होने वाले ट्रेड फेयर में भाग लेने के लिए सरकार को निर्यातकों को वित्तीय सहायता देनी चाहिए।
उनका कहना है कि सरकार से वित्तीय मदद मिलने के बाद निर्यातक ज्यादा से ज्यादा ऐसे ट्रेड फेयर में भाग ले सकेंगे और नतीजन उनके कारोबार में सुधार होगा। यूरोप के संकट के बाद बदले हुए हालात पर रजत कहते हैं कि निर्यातकों को यूरोप और अमेरिका की बजाय अब अन्य देशों के बाजारों की ओर देखना चाहिए। उनका कहना है कि यूरोप पर निर्भरता कम करने से निर्यातक आने वाले दिनों में इस जैसे संकट से बच सकेंगे।
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