देसी कन्फेक्शनरी बाजार में कैडबरी-क्राफ्ट! | विवेट सुजन पिंटो / मुंबई June 21, 2010 | | | | |
क्राफ्ट-कैडबरी की जोड़ी भारत में कन्फेक्शनरी उत्पादों के साथ आगाज कर सकती है। इसके पीछे कारण भी साफ तौर पर नजर आ रहे हैं।
पहली बात तो यह कि इस साल फरवरी में ब्रिटेन की कैंडी निर्माता कैडबरी के शेयरधारकों द्वारा क्राफ्ट फूड्स के 19.5 अरब डॉलर के अधिग्रहण के प्रस्ताव को मंजूरी देने के साथ ही क्राफ्ट-कैडबरी विश्व में कन्फेक्शनरी उत्पादों की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी है।
दूसरी बात यह कि उद्योग जगत के सूत्रों के अनुसार क्राफ्ट कन्फेक्शनरी कारोबार पर दाव खेल रही है, क्योंकि वर्ष 2009 में इसके कुल कारोबार में इस सेगमेंट की हिस्सेदारी करीब 29 फीसदी रही थी।
तीसरा कारण यह है कि भारत में कन्फेक्शनरी बाजार करीब 4,500 करोड रुपये का है जो यहां के चॉकलेट बाजार का दोगुना है। कन्फेक्शनरी कारोबार में सालाना 15 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है और क्राफ्ट किसी भी हालत में तेजी से बढ़ते इस बाजार को खोना नहीं चाहती है।
पूरे मामलों पर नजदीक से नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि कन्फेक्शनरी निश्चित तौर पर ऐसा क्षेत्र है जिसमें कारोबार बढ़ाने की जरूरत है। हालांकि, कैडबरी की अपने दो कैंडी ब्रांडों हॉल्स और एक्लेयर्स और बुबालू गम के साथ कन्फेक्शनरी बाजार में 35 फीसदी हिस्सेदारी है, लेकिन इसके बाद भी कंपनी के लिए इस कारोबार में हिस्सेदारी बढाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
इन लोगों के अनुसार कन्फेक्शनरी कारोबार में अपनी मौजूदगी बढाने के लिए क्राफ्ट कैडबरी के अंतरराष्ट्रीय पोर्टफोलियो की मदद ले सकती है। दूसरी तरफ कैडबरी इंडिया के प्रबंध निदेशक और दक्षिण एशिया और भारत-चीन में संयुक्त क्राफ्ट फूड्स इकाई के अध्यक्ष आनंद कृपालू ने इस योजना के बारे में विस्तार से कुछ भी कहने से मना कर दिया, साथ ही किसी भी तरह की समय सीमा का ब्योरा देने से इनकार कर दिया।
उनका कहना था 'मैं एकीकरण संबधी मुद्दे और आने वाले समय में यह किस तरह से कारोबार करेगा, इस बारे में कुछ भी नहीं कह सकता। भारत में क्राफ्ट का कारोबार इस समय काफी छोटे स्तर पर है और तीन उत्पादों टेंग, टॉब्लेरोन और ओरियो की बिक्री हो रही है। आने वाले समय में इन उत्पादों का विपणन संयुक्त इकाई के जरिये किया जाएगा। एकीकरण के बारे में इस समय कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।'
हालांकि एक प्रतिस्पर्ध्दी कंपनी के अधिकारी ने कहा कि कैडबरी के अधिग्रहण का मकसद क्राफ्ट की भारत में चॉकलेट और कन्फेक्शनरी कारोबार में मौजूदगी को मजबूती प्रदान करना था। अधिकारी ने कहा कि क्राफ्ट-कैडबरी की नजर मुख्य तौर पर विकास की अच्छी संभावनाएं और ऊंची मार्जिन पर है।
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