एफसीसीबी से डॉलर लाए, पर भुगतान में परेशानी | 15 मार्च तक बीएसई 500 में सूचीबध्द 90 कंपनियों पर 54,610 करोड़ रुपये मूल्य के एफसीसीबी बकाया थे | | शिवानी शिंदे / मुंबई June 18, 2010 | | | | |
विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्डों (एफसीसीबी) के जरिए धन जुटाने वाली भारतीय कंपनियां अब बॉन्डधारकों को रकम के पुनर्भुगतान का रास्ता अख्तियार कर सकती हैं।
इसकी वजह यह है कि इन एफसीसीबी की मियाद पूरी होने वाली है और कंपनियों के लिए घरेलू कर्ज जुटाने या इन एफसीसीबी की पुनर्संरचना का विकल्प उतना कारगर नहीं रह गया है। विश्लेषक कहते हैं कि इससे नकदी के प्रवाह पर असर पड़ेगा।
जहां तक घरेलू कर्ज जुटाने की बात है तो इससे कंपनियों का मार्जिन प्रभावित होगा। इस साल 15 मार्च तक बीएसई 500 में सूचीबध्द 90 कंपनियों पर करीब 54,610 करोड़ रुपये मूल्य के एफसीसीबी बकाया थे।
एडलवाइस सिक्योरिटीज के अध्ययन के अनुसार मुताबिक अगर इनका परिवर्तन निर्धारित समय से पहले नहीं हुआ तो इन कंपनियों को 65,200 करोड़ रु पये का भुगतान करना पड़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 50 कंपनियों के लिए एफसीसीबी के शेयरों में परिवर्तित होने की संभावना काफी कम है।
मनोज बाहेती, संदीप गुप्ता और नितिन मंगल द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार, 'इन कंपनियों में से ज्यादातर को या तो पुनर्वित्त का सहारा लेना पड़ेगा या फिर परिवर्तनीय कीमतों में कमी करनी पड़ सकती है। अगर पुनर्वित्त की दर 10 फीसदी सालाना मानी जाए तो इन कंपनियों का कर पूर्व मुनाफा 26.5 फीसदी तक नीचे चला आएगा।
ऐसी कंपनियां जिनका कुल कर्जइक्विटी (डीई) अनुपात 1.5 फीसदी या इससे अधिक है, उन्हें परिवर्तनीय कीमतों के कम होने से 19.2 फीसदी तक की इक्विटी बेचनी पड़ सकती है।'एफसीसीबी के जरिए दो चरणों में 12 करोड़ डॉलर जुटाने वाली भारत फोर्ज ने बॉन्ड धारकों को पुनर्भुगतान का फैसला लिया। इनमें से करीब 1.77 करोड़ डॉलर को एफसीसीबी की समय अवधि के दौरान इक्विटी शेयरों में परिवर्तित किया गया।
कंपनी ने एफसीसीबी के करीब 13.14 करोड़ डॉलर दिए। इसमें मूल 10.2 करोड़ डॉलर और 2.9 करोड़ डॉलर का प्रीमियम भी शामिल है। जब 2006 और 2007 में बाजार में कारोबार की स्थिति अच्छी थी, उस वक्त कई कंपनियों ने एफसीसीबी जरिये फंड जुटाने का रास्ता चुना।
एफसीसीबी के जरिए 2007-08 में कुल 5.6 अरब डॉलर जुटाए गए थे। भारतीय उद्योग जगत के लिए एफसीसीबी को सामान्य कर्ज के मुकाबले सस्ता माना जाता था। इसी तरह निवेशकों के लिए एफसीसीबी रिटर्न की गारंटी पेश करते थे।
मसलन, रिलायंस कम्युनिकेशंस को ही लें। कंपनी ने दो एफसीसीबी इश्यू जारी कर 150 करोड़ डॉलर जुटाए। पहले 50 करोड़ डॉलर की मियाद मई 2011 तक पूरी हो रही है, वहीं दूसरे 100 करोड़ डॉलर के एफसीसीबी की मियाद फरवरी 2012 में पूरी होगी।
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