यूपी में अब भी बड़े निजी निवेश की दरकार | तीन साल में यूपी में 22 हजार करोड़ रुपये का निजी निवेश होने के बावजूद देश के साथ कदमताल के लिए चाहिए अकूत माल | | वीरेंद्र सिंह रावत / लखनऊ June 17, 2010 | | | | |
पिछले तीन साल में 22 हजार करोड़ रुपये का निजी निवेश हासिल करने में कामयाब रहने के बावजूद उत्तर प्रदेश को अभी भी देश की विकास दर से कदमताल करने के लिए बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश की दरकार है।
हालांकि निवेश की इस रफ्तार को देखते हुए अनुमान है कि सार्वजनकि निजी भागीदारी (पीपीपी) वाली परियोजनाओं के जरिए प्रदेश में डेढ़ लाख करोड़ रुपये तक का निवेश हो सकता है। हालांकि राज्य सरकार लगातार नित नए प्रावधानों के जरिए इस बात की कवायद में लगी हुई है कि निजी निवेश की रफ्तार और तेज हो जाए।
इसके 9लिए वह सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम, निवेशक सम्मेलनों के आयोजन और उद्योग जगत के लिए ढेरों रियायतों का पिटारा खोल चुकी है लेकिन नतीजे उसके मनमाफिक नहीं आ पा रहे हैं। निवेश से संबंधित आंकड़े भी खुद इस तस्वीर की तस्दीक कर रहे हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा मायावती सरकार के पिछले तीन साल (2007-10) में 22 हजार करोड़ रुपये का निजी निवेश हुआ है जबकि इसके पहले मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार के तीन बरसों (2004-2007) में होने वाला निजी निवेश 25 हजार करोड़ रुपये था।
योजना दस्तावेज के अनुसार, मौजूदा 11वीं पंच वर्षीय योजना के दौरान उत्तर प्रदेश में (2007-12) के दौरान लगभग 2,36,000 करोड़ रुपये के सार्वजनिक एवं 5,75,000 करोड़ रुपये के निजी निवेश की जरूरत है।
अगर दोनों धनराशियों को मिला दिया जाए तो उत्तर प्रदेश में अभी कुल 8,11,000 करोड़ रुपये के निवेश की दरकार है। हालांकि उत्तर प्रदेश में अभी निवेश की रफ्तार सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की 20 प्रतिशत है जबकि देशभर में यह औसतन 35 फीसदी है।
2009-10 उत्तर प्रदेश में सीमेंट, ऊर्जा, चमड़ा, पेपर, मेटल, सेरामिक्स, इलेक्ट्रिकल, खाद्य, आईटी, परिवहन, टेक्सटाइल आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महज 10 हजार करोड़ रुपये के निजी निवेश वाले औद्योगिक करार हुए, जिससे निवेश प्रस्तावों की निम्न दर का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
हालांकि पिछले साल जरूर उत्तर प्रदेश में 12 हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जो कि पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा है। 2008-09 में यही निवेश केवल 5200 करोड़ रुपये था।
उत्तर प्रदेश में चल रहीं बड़ी पीपीपी परियोजनाओं में गंगा एक्सप्रेस वे (30 हजार करोड़ रुपये), अन्य एक्सप्रेस वे (47 हजार करोड़ रुपये), ऊर्जा (25 हजार करोड़ रुपये), शहरी विकास (12 हजार करोड़ रुपये) पर्यटन (3000 करोड़ रुपये) और जेवर में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (4000 करोड रुपये) उल्लेखनीय हैं। इनके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क क्षेत्रों में भी कई छोटी परियोजनाएं चल रही हैं।
पैसे से बढ़ेगी विकास की रफ्तार
पीपीपी परियोजनाओं से 1.5 लाख करोड़ रुपये निवेश का अनुमान
निजी निवेश बढ़ाने को सरकार कर रही है हरसंभव प्रयास
अपनाया गया सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम
निवेशक सम्मेलनों के आयोजन पर बढ़ा जोर
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