आरबीआई मुद्रास्फीति को कम करने के लिए किसी भी वक्त उठा सकता है कदम
बीएस संवाददाता / नई दिल्ली June 15, 2010
नकदी की आपूर्ति के संकट को लेकर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चर्चा की और इस चुनौती का सामना करने के लिए संभावित कदम उठाने के बाबत भी चर्चा की गई।
आरबीआई के डिप्टी गर्वनर सुबीर गोकर्ण वित्त सचिव अशोक चावला से मुख्य तौर पर इस महीने के आखिरी हफ्ते में टोरंटो में होने वाली जी-20 सम्मेलन के बारे में चर्चा करने गए थे। लेकिन करीब आधे घंटे तक चली इस बैठक के दौरान नकदी व्यवस्था पर भी चर्चा की गई। हालांकि बैठक के बाद गोकर्ण ने नकदी या मुद्रास्फीति पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
बैठक के दौरान संभावित कदमों का पूरा ब्योरा नहीं मिल पाया है।टेलीकॉम कंपनियों द्वारा 3 जी मोबाइल स्पेक्ट्रम फीस के लिए 68,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने की वजह से बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की आपूर्ति बेहद कम हो गई है। आरबीआई द्वारा आयोजित नकदी समायोजन ऑपरेशन के दौरान करीब 3 हफ्ते तक बैंकों ने कर्ज लिया। इसके विपरीत मई के पहले पखवाड़े के दौरान बैंकों ने औसतन रोजाना 40,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम आरबीआई के पास रखी।
हालांकि आरबीआई ने इस संकट के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन बैंकों का विचार है कि इन कदमों से वे केवल अतिरिक्त नकद राशि उधार ले सक ते हैं। इसके अतिरिक्त जून के दौरान ट्रेजरी बिल नीलामी का आकार भी 37,000 करोड़ रुपये से कम करके 15,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
पिछले कुछ दिनों में स्थिति बेहद नाजुक हो गई है क्योंकि कंपनियों ने ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस स्पेक्ट्रम के लिए 38,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है जबकि अग्रिम कर के तौर पर 30,000 करोड़ रुपये का भुगतान किए जाने की उम्मीद है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों ने पहले एलएएफ ऑपरेशन के दौरान रेपो विंडो के जरिये 14,000 करोड़ रुपये की उगाही की।
दूसरे ऑपरेशन के दौरान बैंकों ने 23,870 करोड़ रुपये लिया। कॉल मनी मार्केट जहां कुल कारोबार 8,000 करोड़ रुपये का रहा वहां की दरें 2.90-5.40 फीसदी के दायरे में थी और औसत अनुमानित दर 5.26 फीसदी थी जो पिछले दिन 5.23 फीसदी थी। अगर सरकार 135,000 करोड़ रुपये की आपूर्ति शुरू करेगी तो हालात में सुधार की संभावना बन सकती है।
सरकार और केंद्रीय बैंक हैं सहमत सरकार और केंद्रीय बैंक आरबीआई ने नकदी के लिए संभावित कदमों के लिए सुर में सुर मिलाया। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने संवाददाताओं से कहा कि जब जरूरत होगी तब आरबीआई मुद्रास्फीति के लिए उपयुक्त कदम उठा सकता है। उनका कहना था कि आरबीआई के डिप्टी गर्वनर के सी चक्रवर्ती ने जुलाई में अगली तिमाही समीक्षा से पहले कदम उठाए जाने की जो संभावना व्यक्त की है उसे खारिज नहीं किया जा सकता है।
चक्रवर्ती ने यह कहा था कि यह कदम किसी भी वक्त उठाया जा सकता है और यह जुलाई से पहले भी हो सकता है। मुखर्जी ने सोमवार को पटना में संवाददाताओं से कहा कि वे दरों में बढ़ोतरी के पक्ष में नहीं हैं हालांकि मुद्रास्फीति को लेकर सरकार काफी चिंता में है।
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