राज्य और केंद्र सरकार में नीति निर्माताओं की मदद से शहरी विकास परिदृश्य को समग्र बनाए जाने के लिए टियर-2 और टियर-3 शहरों में शहरी विकास परियोजनाओं को अंजाम दिए जाने की जरूरत होगी। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एस जयपाल रेड्डïी ने मंगलवार को 'बिजनेस स्टैंडर्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर बैठक में यह बात कही।इस अवसर पर रेड्डी ने अपने भाषण में कहा, 'शहरी इलाकों में फिलहाल लगभग 30 करोड़ लोग रहते हैं और अगले 25 वर्षों तक यह तादाद बढ़ कर 80 करोड़ हो जाने की संभावना है। तेजी से बदल रहे इस शहरी विकास परिदृश्य में राज्य और केंद्र स्तर पर एक सक्षम नीतिगत माहौल की जरूरत है ताकि बढ़ रही शहरी जरूरतों को पूरा किया जा सके।उन्होंने कहा कि शहरी विकास का दायरा बढ़ाने के प्रयास के तहत मंत्रालय जवाहरलाल नेहरू अर्बन रिन्यूएवल मिशन के तहत 28 और शहरों को शामिल करने की योजना बना रहा है। फिलहाल जेएनएनयूआरएम योजना के दायरे में 63 शहर शामिल हैं। यह योजना केंद्र में सत्तारूढ़ संप्रग सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए उनके मंत्रालय को और अधिक कोष आवंटित किए जाने की जरूरत होगी।पिछले दो दशकों में उभरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती डिस्पोजेबल इनकम यानी खर्च योग्य आय और ग्रावों से शहरों की ओर बढ़ती पलायन की रफ्तार आदि की वजह से भारत में शहरी विकास एक अहम विषय बना हुआ है। एक अध्ययन के अनुसार देश को अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए लगभग 1.1 ट्रीलियन डॉलर की जरूरत है।
