नकदी के दबाव से बढ़ सकती हैं ब्याज दरें! | नम्रता आचार्य / कोलकाता May 29, 2010 | | | | |
अल्पावधि ऋण की संभावना तलाश रही कंपनियों को आगामी महीनों में कोष पर 0.25-0.5 फीसदी की वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि 3जी नीलामी के लिए उधारी और अग्रिम कर अदायगी की वजह से नकदी पर दबाव बढ़ेगा।
इसके अलावा पिछली तिमाही के दौरान कॉरपोरेट पोर्टफोलियो में कर विलंब में हुए इजाफे की वजह से बैंक ऐसे ऋण वितरित किए जाने में सतर्कता बरत रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप कंपनियों के बीच कमर्शियल पेपर और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) जैसे वैकल्पिक इंस्ट्रमेंट्स की लोकप्रियता बढ़ने की संभावना है।
देश का सबसे बड़ा ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अल्पावधि के कॉरपोरेट ऋण की दर में लगभग 0.25 फीसदी का इजाफा पहले ही कर चुका है। एसबीआई के एक अधिकारी ने संकेत दिया कि आगामी महीनों में ऐसी उधारी पर और 0.25 फीसदी की वृद्धि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
सार्वजनिक क्षेत्र का ऋणदता यूको बैंक जून में उधारी दर और जमा दरों में लगभग 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी करने पर विचार कर रहा है। यूको बैंक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एस के गोयल ने कहा, 'तरलता सख्त होती जा रही है और ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हम जून में जमा एवं उधारी, दोनों में 0.5 फीसदी तक की वृद्धि कर सकते हैं। इस बारे में अंतिम फैसला जून में लिया जाएगा।'
दूरसंचार कंपनियों को 3जी मोबाइल सेवाएं मुहेया कराए जाने के लिए स्पेक्ट्रम के आवंटन को लेकर 68,000 करोड़ रुपये की जरूरत है। इसके अलावा अग्रिम कर अदायगी भी तरलता पर दबाव डाल सकती है।
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक भास्कर सेन ने कहा, 'तरलता की स्थिति थोड़ी तनावपूर्ण बन गई है। आरबीआई नकदी दबाव को कम करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अल्पावधि में ब्याज दरों में वृद्धि को लेकर भय बना हुआ है। कुल मिला कर ब्याज दरें प्रभावित नहीं होंगी, लेकिन अगर यही स्थिति बनी रहती है तो अल्पावधि ऋणों में ब्याज दरों पर दबाव बढ़ने की संभावना है।'
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