एबीबी ऑफर : अभी निकलें, गिरें तो खरीद लें | दीर्घावधि संभावना के लिहाज से एबीबी बेहतर दिखती है, व उद्योग जगत में भी सुधार के संकेत हैं | | विशाल छाबड़िया / May 24, 2010 | | | | |
एबीबी की स्विटजरलैंड स्थित मूल कंपनी का ओपन ऑफर दीर्घावधि परिदृश्य के लिहाज से एबीबी के लिए बेहद सकारात्मक है। मूल कंपनी को भारतीय कंपनी की 22.89 फीसदी इक्विटी के ऑफर के लिए करीब 4,366 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
इस ऑफर को पूरा अभिदान मिलने पर मूल कंपनी की एबीबी में हिस्सेदारी बढ़ कर 75 फीसदी तक हो जाएगी। जहां एबीबी की दीर्घावधि संभावना अच्छी दिखती है और उद्योग जगत में भी सुधार के संकेत हैं, वहीं विश्लेषकों का मानना है कि ओपन ऑफर निवेशकों के लिए बाहर निकलने का एक अच्छा अवसर मुहैया कराता है।
ज्यादा लचीलापन
मोटे तौर पर ओपन ऑफर एबीबी के शेयर के बंद होने के भाव से करीब 34 प्रतिशत प्रीमियम पर आया है। दूसरे शब्दों में यह ऑफर अनिवार्य फ्लोर प्राइस से अधिक है, जो कि थोड़ा चौंकाता है। हालांकि एबीबी की मूल कंपनी ने बिना वजह यह ओपन ऑफर नहीं दिया है।
सबसे अहम बात यह है कि मूल एबीबी भारतीय अर्थव्यवस्था के दीर्घावधि विकास को लेकर आशान्वित है और भारत में वह एबीबी की गतिविधियों में विकास की संभावनाएं देख रही है। उसे यह भी उम्मीद है कि विश्व में कंपनी की भूमिका में इजाफा होगा जिससे ज्यादा निवेश और राजस्व की संभावनाएं बढ़ेंगी। इसके अलावा एबीबी में 75 फीसदी हिस्सेदारी से मूल कंपनी की निर्णय प्रक्रिया में ज्यादा शह होगी।
इसका फायदा तब होगा जब किसी प्रस्ताव के लिए तीन-चौथाई बहुमत की जरूरत होती है और प्रबंधन का नियंत्रण बढ़ाना होता है। व्यवसाय के नए क्षेत्र जोड़ना और अधिग्रहण करना भी आसान हो जाएगा।
थोड़े समय की दिक्कत
भारत के ऊर्जा और औद्योगिक क्षेत्र में नियोजित विकास के संदर्भ में एबीबी जैसी कंपनियों के लिए लंबी अवधि में बेहतर संभावनाएं हैं। लेकिन, अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में कंपनी ने पिछली कुछ तिमाहियों में ढीला-ढाला प्रदर्शन किया है।
कंपनी के मार्च तिमाही के नतीजों ने भी बाजार को निराश किया है और उसका मार्जिन लगभग आधा गिर गया है और समायोजित शुध्द लाभ में भी 10 फीसदी की कमी आई है। एबीबी के ऑर्डर में भी गिरावट का रुख है। एबीबी के इस खराब प्रदर्शन का कारण चीनी और कोरियाई कंपनियों से मिल रही टक्कर और बिजली क्षेत्र में मांग से ज्यादा उपकरण सप्लाई होना है।
इस क्षेत्र में जहां कीमत संबंधी दबाव बरकरार है, ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि कुछ और तिमाहियों तक एबीबी का कुल मार्जिन दबाव में रह सकता है। इसमें बहाली अगले कैलेंडर वर्ष में ही आने की उम्मीद है।
आगे का रास्ता
नतीजों के बाद विश्लेषकों ने इस शेयर पर मंदी का रुख अपनाया, जिससे यह 803.90 (29 अप्रैल) से गिरकर 673.55 (14 मई) पर आ गया। लेकिन ओपन ऑफर के बाद पहले ही दिन कंपनी का शेयर उछला और बंबई शेयर बाजार में 830.65 रुपये पर पहुंच गया।
इस भाव पर कंपनी का पीई अनुपात कंपनी के कैलेंडर वर्ष 2011 में कंपनी के अनुमानित ईपीएस से 28 गुना है, लिहाजा यह महंगा है। ओपन ऑफर की आकर्षक कीमत को देखते हुए लगता है कि बड़ी संख्या में शेयरधारी इस शेयर से निकल जाएंगे।
जिन निवेशकों ने मध्यावधि संभावनाओं के तहत निवेश किया है वे ओपन ऑफर के रास्ते कंपनी से निकल सकते हैं और गिरने पर बाद में इसमें निवेश कर सकते हैं।
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