एफआईआई की बदली चाल | आशीष रुखइयार / मुंबई May 20, 2010 | | | | |
अंतरराष्ट्रीय हालात के कारण अस्थिर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने कारोबारी क्षेत्रों के सूचकांकों के बजाय कंपनियों के शेयरों में निवेश करना शुरू कर दिया है।
इस कारण अप्रैल के दौरान वायदा एवं विकल्प श्रेणी में पिछले 3 साल में सबसे अधिक कारोबार किया गया। मौजूदा महीने में भी इन श्रेणियों में रोजाना बेहतर कारोबार हो रहा है। संस्थागत डीलरों का कहना है कि अधिकतर निवेशकों का मानना है कि कारोबारी क्षेत्रों के सूचकांक में निवेश करने के बजाय कंपनियों के शेयरों में निवेश करना बेहतर विकल्प है।
बीएस शोध ब्यूरो द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल के दौरान वायदा एवं विकल्प में ओपन इंटरेस्ट पोजीशन 6.23 लाख करोड़ रुपये थी, जो अक्टूबर 2007 के बाद से सबसे अधिक है। बाजार नियामक की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार अप्रैल के दौरान वायदा अधिकतर दिनों में रोजाना 29,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ है। जबकि जनवरी में यह आंकड़ा रोजाना 27,000 करोड़ रुपये था।
इस बारे में आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के प्रमुख (संस्थागत डेरिवेटिव्स) टी एस हरिहर ने कहा, 'कंपनियों द्वारा अधिग्रहण और विलय बढ़ने से विकल्प बाजार में तेजी आई है।' अप्रैल में मासिक ओपन इंटरेस्ट 16,976 करोड़ रुपये था, जो नवंबर 2009 के बाद सबसे अधिक है। 19 मई तक विकल्प कारोबार में ओपन इंटरेस्ट 15,000 करोड़ रुपये तक था।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जितेंद्र पांडा ने बताया, 'अगर आप पिछले 4-5 महीनों को देखें तो बाजार में एक दायरे में उछाल या गिरावट दर्ज की गई है और इसीलिए निफ्टी पर इतना कारोबार नहीं हो रहा था। जबकि सीमेंट, फार्मा क्षेत्रों में काफी कारोबार हुआ था जिससे सूचकांकों में बेहतर कारोबार हुआ था।'
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