2 जी पर ट्राई की कॉल ब्लॉक! | ऑपरेटरों से 2 जी स्पेक्ट्रम की मोटी कीमत वसूलने की ट्राई की सिफारिश ठुकरा सकता है डॉट | | मानसी तनेजा / नई दिल्ली May 17, 2010 | | | | |
दिग्गज मोबाइल फोन ऑपरेटरों की जान सांसत में डाल देने वाली भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशें रद्दी के टोकरे में जा सकती हैं।
दरअसल दूरसंचार विभाग उन सिफारिशों को खारिज करने पर विचार कर रहा है, जिनके मुताबिक 6.2 मेगाहट्र्ज से अधिक 2 जी स्पेक्ट्रम रखने वाले ऑपरेटरों को 3 जी स्पेक्ट्रम की कीमत के अनुसार ही मोल चुकाना चाहिए। विभाग मानता है कि 3 जी स्पेक्ट्रम की क्षमता 2 जी के मुकाबले 3 गुना अधिक है, इसलिए 2 जी स्पेक्ट्रम सस्ता रहना चाहिए।
ट्राई की सिफारिशें अगर ठुकराई गईं तो भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल), महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल), भारती एयरटेल, वोडाफोन एस्सार, एयरसेल और आइडिया सेल्युलर जैसी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को खासी राहत मिल जाएगी।
ट्राई की सिफारिशों के मुताबिक इन्हें कुल 14,500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रकम सरकार को देनी पड़ेगी। इन कंपनियों के पास कई सर्किलों में 6.2 मेगाहट्र्ज से अधिक 2 जी स्पेक्ट्रम है। इनमें सबसे ऊपर भारती है और ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक उस पर 3,498 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। बीएसएनल पर 3,040 करोड़ रुपये, वोडाफोन एस्सार पर 2,849 करोड़ रुपये और एमटीएनएल पर 2,669 करोड़ रुपये की चोट पड़ सकती है।
दूरसंचार विभाग स्पेक्ट्रम की क्षमता के आधार पर नया फॉर्मूला निकालने की योजना बना रहा है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, '3 जी स्पेक्ट्रम 2 जी के मुकाबले 3 गुना ज्यादा सक्षम है। दोनों की कीमत को एक ही तराजू में तोलना सही नहीं होगा। इसे ट्राई की सिफारिश से बहुत कम होना चाहिए। ट्राई तक कह चुका है कि इस मसले पर वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है।'
इस सूरत में अगर दूरसंचार विभाग 3 जी के मोल का केवल एक तिहाई मांगता है तो ये ऑपरेटर कंपनियां तकरीबन 4,500 करोड़ रुपये देंगी। पूरे भारत में 3 जी लाइसेंस के लिए वे 15,000 करोड़ रुपये से अधिक दे रही हैं। ऐसे में यह रकम ज्यादा नहीं है। 3 जी की नीलामी 9 अप्रैल को शुरू हुई है और ताजा आंकड़ों के मुताबिक पूरे भारत के लाइसेंस के लिए 3,000 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज की बोली लग रही है।
दिलचस्प है कि इस मसले पर बातचीत के दौरान ट्राई के सदस्य ही अतिरिक्त 2 जी स्पेक्ट्रम की सही कीमत पर एकराय नहीं हो पाए। कुछ की राय थी कि 3 जी की कीमत का दो तिहाई मोल वसूला जाना चाहिए, लेकिन सहमति नहीं बन पाई।
ट्राई ने आखिर में 3 जी नीलामी पर कीमत तय करने की बात कही और विचार विमर्श की खिड़की भी खुली रखी। उसके अधिकारी कहते हैं कि 3 जी की आसमान छूती कीमत का उन्हें अंदाजा है और आखिरी कीमत तक वे इंतजार कर सकते हैं। हालांकि ट्राई के अध्यक्ष जे एस सरमा कह चुके हैं कि 3 जी की कीमत स्पेक्ट्रम के केवल एक ब्लॉक के लिए है।
ट्राई की चली तो बिगड़ जाएगा बहीखाता
कंपनी देनदारी
भारती एयरटेल 3498
बीएसएनएल 3040
वोडाफोन एस्सार 2849
एमटीएनएल 2669
आंकड़े करोड़ रुपये में
ट्राई के मुताबिक 2 जी स्पेक्ट्रम के लिए कंपनियों को देने होंगे 14,500 करोड़ रुपये
लेकिन दूरसंचार विभाग भी मानता है कि हद से ज्यादा है यह कीमत
3 जी के पैमाने पर ही 2 जी स्पेक्ट्रम की कीमत आंके जाने पर बिल्कुल राज़ी नहीं है विभाग
कंपनियों से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के लिए मांग सकता है केवल 4,500 करोड़ रुपये
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