दूरसंचार कंपनियों ने पकड़ी बिहार की डगर | सत्यव्रत मिश्रा / पटना May 13, 2010 | | | | |
दूरसंचार क्षेत्र ने बीते कुछ सालों में पूरे देश में जबरदस्त तेजी से तरक्की की है। हालांकि, कुछ साल पहले तक इस क्रांति से बिहार अनछुआ ही रह गया था, लेकिन आज की बात कुछ और है।
बीते कुछ सालों में इस सेक्टर ने काफी अच्छी प्रगति की है। इसीलिए तो मोबाइल फोन कंपनियां बिहार की तरफ खिंची चली आ रही हैं। साथ ही, इससे राज्य की तरक्की में भी काफी योगदान मिल रहा है।
बिहार में इस वक्त 10 मोबाइल फोन सेवा प्रदाता कंपनियां काम कर रही हैं। इनमें से दो, रिलायंस कम्युनिकेशंस और टाटा टेलीसर्विसेज, जीएसएम के साथ-साथ सीडीएमए सेवाएं भी दे रही हैं। इसके अलावा, वर्जिन मोबाइल टाटा टेलीसर्विसेज के नेटवर्क पर अपनी सीडीएमए और जीएसएम सेवाएं मुहैया करा रही है।
राज्य में उपभोक्ताओं के लिहाज से सबसे बड़ी कंपनी एयरटेल है, जिसका बिहार के करीब 50 फीसदी मोबाइल फोन बाजार पर कब्जा है। इसके बाद नंबर आता है, अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस का। वहीं, सरकारी बीएसएनएल तीसरे पायदान पर है।
आंकड़ों की मानें तो बिहार में बीते वित्त वर्ष के खत्म होने के समय मोबाइल फोन उपभोक्ताओं की तादाद 25.3 करोड़ थी। इससे पहले 2008-09 में राज्य में 15.1 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ता थे। यही वजह है कि अब नई मोबाइल फोन सेवा प्रदाता कंपनियां तेजी से बिहार की ओर रुख कर रही हैं।
सिर्फ बीते दो सालों में ही वोडाफोन, आइडिया, यूनिनॉर, एस-टेल, टाटा डोकोमो और वर्जिन मोबाइल ने राज्य में अपनी दुकानें खोली हैं। यूनिनॉर के कार्यकारी उपाध्यक्ष (बिहार-झारखंड) आलोक शंकर ने बताया, 'बिहार हमारे लिए काफी बड़ा बाजार है। साथ ही, यह काफी तेजी से तरक्की भी कर रहा है।' इसके अलावा, एक काफी बड़ा मुद्दा है, कम टेली घनत्व (टेलीडेंसिटी) का।
शंकर ने बताया कि, 'आज भी बिहार में टेलीडेंसिटी सिर्फ 40 फीसदी के आसपास का है, जो दो साल पहले तक मात्र 20 फीसदी का था। दूसरी तरफ, दिल्ली और तमिलनाडु जैसे इलाकों में तो यह काफी ज्यादा है। बिहार में हमारे लिए संभावनाएं काफी ज्यादा है।'
ग्रामीण बिहार में टेलीडेंसिटी का स्तर मार्च, 2009 तक सिर्फ 9.17 फीसदी का था, जबकि शहरी बिहार में यह आंकड़ा 133 का है। इसलिए तो टेलीकॉम कंपनियों के बीच असल लड़ाई बिहार के ग्रामीण इलाकों पर कब्जे की है। मोबाइल फोन कंपनियों के बीच इस जंग का फायदा सरकार को जरूर मिला है। इससे राज्य की विकास दर में काफी इजाफा हुआ है।
राज्य के इस साल के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक प्रदेश में निर्माण क्षेत्र के बाद सबसे बड़ा ज्यादा तरक्की दूरसंचार सेवाओं में ही देखने को मिली। बीते वित्त वर्ष में राज्य में दूरसंचार सेवाओं की विकास दर करीब 18 फीसदी की रही।
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