पंजीकृत हुए बगैर कंपनी मध्यस्थता समझौता नहीं कर सकती | अदालत से | | बीएस / May 02, 2010 | | | | |
कंपनी कानून के तहत औपचारिक रूप से पंजीकृत हुए बगैर कोई भी कंपनी आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट यानी मध्यस्थता समझौता नहीं कर सकती।
'आंध्र प्रदेश टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन बनाम पम्पा होटल्स लिमिटेड' मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है। हालांकि कंपनी के प्रवर्तक तभी ऐसा कोई समझौता कर सकते हैं जब कंपनी के निगमन की शर्तों के तहत ऐसा करना जरूरी हो। लेकिन जो कंपनी गठित ही नहीं हुई हो, वह मध्यस्थता समझौता नहीं कर सकती।
इस मामले में कॉरपोरेशन और होटल चेन ने हैदराबाद में एक नए होटल की लीज और प्रबंधन के लिए समझौता किया था। बाद में कॉरपोरेशन ने इस समझौते को समाप्त कर दिया। होटल कंपनी मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय में चली गई।
कॉरपोरेशन ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहते हुए उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया कि कंपनी का पंजीकरण समझौते पर हस्ताक्षर के एक साल बाद हुआ।
मध्यस्थता समझौता लिखित में हो
कोई अनुबंध मौखिक तौर पर किया जा सकता है लेकिन मध्यस्थता समझौता ऐसे अनुबंध से अलग होता है। मध्यस्थता समझौते में आर्बिट्रेशन ऐंड कंसीलिएशन ऐक्ट की धारा 7 में निर्धारित मानकों का अनुपालन किया जाना चाहिए और मुख्य बात यह है कि यह लिखित में होना चाहिए। 'इंडोविंड एनर्जी लिमिटेड बनाम वेसकेयर लिमिटेड' मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला दिया।
श्रमिकों को भुगतान का मामला
एक प्रतिष्ठान द्वारा रखे गए ठेकेदार के श्रमिकों को इम्प्लॉइज स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऐक्ट का लाभ नहीं मिलता है। सर्वोच्च न्यायालय ने 'प्रबंध निदेशक, हसन कोऑपरेटिव मिल्क प्रोडयूसर्स सोसायटी यूनियन लिमिटेड बनाम ईएसआई सहायक क्षेत्रीय निदेशक' मामले में यह बात कही।
ईएसआई अधिकारियों ने यह कहते हुए मिल्क कोऑपरेटिव से कोष में अंशदान की मांग की कि दूध को मुख्य संयंत्र में पहुंचाने के काम में लगे ठेकेदार के लोडर कोऑपरेटिव द्वारा रखे गए थे। ईएसआई ट्रिब्यूनल और कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इसका समर्थन किया।
एक अपील पर सर्वोच्च न्यायालय ने इन फैसलों को पलट दिया और कहा कि कोऑपरेटिव का ठेकेदार के इन श्रमिकों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं था और उसे उनके पर्यवेक्षण का भी अधिकार नहीं था। कोऑपरेटिव द्वारा यह मजदूरी नहीं दी गई, क्योंकि कानून के तहत वह इस भुगतान के लिए बाध्य नहीं था।
|