एशिया का सबसे बड़ा कचरा निस्तारण संयंत्र (एसटीपी) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जल्दी ही काम करना शुरू कर देगा। इस संयंत्र की क्षमता हर रोज 34.5 करोड़ लीटर कचरे के निस्तारण की होगी। उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, शहरी विकास, कारोबार एवं मनोरंजन कर मंत्री नकुल दुबे कहते हैं, 'लखनऊ में इस संयंत्र की स्थापना नदियों की प्रदूषण की समस्या को ध्यान में रखकर की गई है। यह इस साल जून के आखिरी से काम करना शुरू कर देगा।' दुबे भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और उत्तर प्रदेश पर्यावरण विभाग द्वारा जलवायु परिवर्तन पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। 170 करोड़ रुपये लागत वाली इस परियोजना पर काम 2008 में शुरू हुआ था। लखनऊ के कचरे को बहाकर गोमती में ले जाने वाले सभी 26 नालों को इस संयंत्र के पंपिंग स्टेशन से जोड़ दिया गया है। शुरू होने के बाद इस संयंत्र से हर घंटे 400 घन मीटर मीथेन गैस का उत्पादन होगा। इससे संयंत्र को चलाने के लिए 1,200 से 1,500 किलोवाट बिजली का उत्पादन होगा। उन्होंने कहा, 'पहले से ही भारत कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों में शामिल है। इसके बावजूद उद्योगों को उन गतिविधियों को कम करने के लिए कहा जाना चाहिए जिससे ग्रीन हाउस गैसों और कार्बन का उत्सर्जन होता हो।' उत्तर प्रदेश पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव आलोक रंजन ने कहा कि नदियों और खास तौर पर गंगा की सफाई का अभियान उन सभी 26 जिलों में शुरू होने जा रहा है जहां से गंगा गुजरती है। पहले चरण में तीन बड़े प्रदूषक शहरों इलाहाबाद, वाराणसी और कानपुर में अभियान चलाया जाएगा।
