टेलीकॉम की घंटी बजेगी मगर अभी थोड़ी देर लगेगी | निवेश : टेलीकॉम क्षेत्र में विकास दर काफी ज्यादा है, पर मुनाफा कमाने के लिए कम से कम 3-4 साल की अवधि के लिए टेलीकॉम शेयरों में निवेश करें | | कात्या नायडू / April 19, 2010 | | | | |
पिछले दशक में टेलीकॉम क्षेत्र सबसे तेजी से उभरते क्षेत्रों में से एक रहा है। मोबाइल क्रांति देश में पहले से ही तूफानी तेजी से बढ़ रही है।
2009 में 54 फीसदी और 2008 में 48 फीसदी विकास दर के साथ इस उद्योग की संभावनाएं बढ़त पर हैं। मौजूदा समय में देश में 56 करोड़ मोबाइल कनेक्शन हैं और 51 फीसदी लोगों तक इसकी पहुंच है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में शौचालयों से ज्यादा मोबाइल फोन हैं। पिछले हफ्ते तीसरी पीढ़ी के स्पेक्ट्रम यानी 3 जी की नीलामी शुरु हुई और इससे मिलने वाले बेहतर डाटा सेवा से उद्योग को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। देश में करीब 14 टेलीकॉम सेवा प्रदाता हैं।
इनमें से भारती एयरटेल, रिलायंस कम्युनिकेशंस, आइडिया सेल्युलर, टाटा टेलीसर्विसेज महाराष्ट्र, एमटीएनएल और एचएफसीएल इन्फोटेल सूचीबद्ध कंपनियां हैं। रिलायंस इन्फ्राटेल आईपीओ लाने जा रही है और इसके लिए ड्राफ्ट (डीआरएचपी) भी दाखिल कर दिया है।
हालांकि यह क्षेत्र तेज विकास के लिए जाना जाता है, पर जल्दी पैसे बनाने के लिए यह क्षेत्र नहीं है। यह एक ज्यादा पूंजी वाला क्षेत्र है जहां कंपनियों को नेटवर्क की आधारभूत चीजों, वितरण व्यवस्था और लाइसेंस फीस में निवेश करना होता है। इस क्षेत्र में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा की वजह से विज्ञापन और प्रचार पर भी लगातार खर्च की जरूरत होती है।
अनुमान बताते हैं कि एक टेलीकॉम कंपनी को ब्रेकइवन तक पहुंचने में छह साल का समय लगता है। जहां तक इस क्षेत्र के शेयरों की बात है, तो कुछ बातों का ध्यान में रखने की जरूरत है।
सरकार की भूमिका
स्पेक्ट्रम को लेकर सरकार की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। स्पेक्ट्रम पर सरकार का मालिकाना हक है और मौजूदा समय में अगर कोई ऑपरेटर यूनीफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेंस (यूएएसएल) हासिल करता है, तो यह स्पेक्ट्रम के साथ होता है।
अगर सरकार स्पेक्ट्रम को यूएएसएल लाइसेंस से अलग कर देती है, तो इसकी कीमत बाजार से तय होगी और जाहिर है, बाजार इसे महंगा बना देगा। यूएएसएल लाइसेंस के अलावा टेलीकॉम कंपनियों को लंबी दूरी की कॉल और अंतरराष्ट्रीय कॉल की सेवा देने के लिए दो और लाइसेंस जैसे आईएसडीएनएलडी लाइसेंस की जरूरत होती है।
जो ऑपरेटर मोबाइल फोन पर इंटरनेट की सुविधा देते हैं उन्हें इंटरनेट सेवा प्रदाता (आईएसपी) लाइसेंस की भी जरूरत होती है। किसी निवेशक को दो और बातों पर ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन इस पर अपना निवेश तय नहीं करना चाहिए।
पहला : ग्राहक संख्या
किसी टेलीकॉम कंपनी के प्रदर्शन का अंदाजा लगाने के लिए सबसे अच्छा उपाय उस कंपनी के ग्राहकों की संख्या देखना है, पर विशेषज्ञ इससे अलग विचार रखते हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि नई कंपनियों का मुख्य जोर आमदनी जुटाने के बजाए ग्राहक बनाने पर होता है। जानकारों का कहना है कंपनी की आमदनी के साथ बाजार हिस्सेदारी देखनी चाहिए। ब्रिक्स सिक्योरिटीज में विश्लेषक सुशील शर्मा का कहना है, 'आमदनी में बाजार हिस्सेदारी से मुनाफे, और ग्राहकों की गुणवत्ता और संख्या का पता चलता है।'
उनके मुताबिक लंबे समय तक अगर प्रदर्शन अच्छा रहता है, तो कई बातें मसलन अच्छी बुनियादी व्यवस्था, तकनीकी मजबूती, अच्छे व्यावसायिक चलन और ग्राहकों का स्तर भी अपनी भूमिका निभाते हैं। दूसरे शब्दों में ये कंपनी की मजबूती को दर्शाते हैं।
आदर्श रूप से एक अच्छी कंपनी के पास अच्छी ग्राहक संख्या होनी चाहिए और बाजार राजस्व में हिस्सेदारी में बढ़ोतरी होनी चाहिए और दोनों का सही संतुलन होना चाहिए।
दूसरा : मिनट उपयोग
हो सकता है कि कोई कंपनी इस्तेमाल वाले मिनटों में खासी बढ़त दिखाए, लेकिन यह जरूरी नहीं कि कंपनी मुनाफा कमा रही है। इन मिनटों में लिया गया किराया और ग्राहका को आने वाली इनकमिंग कॉल शामिल नहीं की जातीं।
ऐसे में प्रति मिनट औसत आमदनी पर नजर रखनी चाहिए। इससे बातचीत के हर मिनट में कंपनी को होने वाली आमदनी का अंदाजा लगाया जा सकता है। निवेशकों को परिचालन लागत पर भी नजर रखनी चाहिए।
टेलीकॉम सेवा देने के लिए कंपनी को बुनियादी व्यवस्था पर भारी खर्च करना पड़ता है। प्रभुदास लीलाधर के विश्लेषक निशना बियानी का कहना है, 'नेटवर्क परिचालन लागत के 70 फीसदी पर टेलीकॉम कंपनियों का कोई नियंत्रण नहीं होता है। इनमें टेलीकॉम टावरों के लिए बिजली, ईंधन और किराये का खर्च शामिल है। डीजल की ऊंची कीमत का मतलब नेटवर्क परिचालन लागत का ज्यादा होना है।'
इस क्षेत्र के निवेशकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि 3 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू हो गई हो और इस क्षेत्र में कंपनियों को कमाई में अभी वक्त लगेगा। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि गंभीर निवेशकों को कम से कम दो-तीन सालों की अवधि लेकर चलना चाहिए। नहीं तो यह कारोबारियों के लिए यह अच्छा है।
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