अब अकाउंटिंग लीग की बारी | जो मैथ्यू / April 15, 2010 | | | | |
कामयाबी और मुनाफे की नई मिसाल बन चुके इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मालिकों ने नीलामी के जरिये खिलाड़ियों को खरीदने की जो परंपरा शुरू की है, उससे भविष्य में अकाउंटिंग के खेल के नियम भी बदल सकते हैं।
कम से कम देश में लेखा परीक्षकों की नियामक संस्था इंस्टीटयूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंस ऑफ इंडिया (आईसीएआई) का तो ऐसा ही मानना है। ऐसे में जब आईपीएल जैसे खेल आयोजन जबरदस्त पैसा बनाने का माध्यम बन चुके हैं तब आईसीएआई लेखा नियमों में वक्त के साथ नए बदलाव की बात कर रहा है।
संस्थान खेल 'उद्योग' द्वारा अनुबंधित की गई 'प्रतिभाओं' की उचित कीमत का आकलन करने के तरीके तलाश रहा है।
बैठक में होगी चर्चा
आखिर कैसे इन 'कोहिनूरों' की कीमत का अंदाजा लगाया जाए जो बाद में 'बोझ' भी साबित हो सकते हैं या फिर किसी प्रतिभा के लिए कितनी कीमत 'जायज' है, इसका अंदाजा कैसे लगाया जाए, उन सभी बातों पर आईसीएआई की अनुसंधान टीम की इस साल होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी।
इस अनुसंधान टीम से जुड़े एक पेशेवर विशेषज्ञ का कहना है, 'ये लेखा उद्योग के लिए उभरते हुए क्षेत्र हैं। खेल और मनोरंजन क्षेत्र के बदलते हालात के आलोक में आपको लेखा से जुड़े मुद्दों को लेकर भी भविष्यवादी रुख अपनाना होगा।' वैसे केवल खेल और मनोरंजन जैसे क्षेत्र ही आईसीएआई की ताजा दिलचस्पी वाले विषय हैं।
और भी हैं मामले
संगठित खुदरा कारोबार का विस्तार और दिग्गज कारोबारी घरानों द्वारा अपनाए जा रहे नए कारोबारी नुस्खों को देखते हुए भी भविष्य में लेखा पेशेवरों के सामने बड़ी चुनौती आने वाली है।
बनेंगे नए नियम!
आईसीएआई की अनुसंधान समिति की अध्यक्ष भावना गौतम का कहना है, 'डिस्काउंट काड्र्स और कूपन कुछ ऐसे ही नए कारोबारी नुस्खे हैं जिन्हें इन दिनों आजमाया जा रहा है।'
आईसीएआई की अनुसंधान समिति की सिफारिशें नए लेखा नियमों का सूत्रपात कर सकती हैं और कानून पुरानों को बाहर का रास्ता दिखा सकती हैं। आईसीएआई देश और विदेश के प्रबंधन संस्थानों, विश्वविद्यालयों, वित्तीय संस्थानों, कारोबारी संस्थाओं और पेशेवर संस्थानों के साथ मिलकर काम करता है।
आईसीएआई की अनुसंधान समिति विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) में चलने वाली गतिविधियों के लेखा के लिए नई नियमावली बना रहा है, साथ ही दूरसंचार कंपनियों के राजस्व के मामले में भी नए मानक को तैयार कर रहा है। साथ ही साथ तेल एवं गैस कंपनियों के लिए भी नए नियमों पर काम किया जा रहा है।
इसके अलावा गैर-लाभकारी संस्थाओं और गैर-सरकारी संस्थाओं के मामले में भी नए नियमों को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है। वित्तीय रिपोर्टिंग के में भी सामान्य गलतियों पर भी अध्ययन किया जा रहा है।
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