गांव में रात गुजारना महंगा पड़ा सुरक्षा बल के जवानों को | आर कृष्णा दास / रायपुर April 08, 2010 | | | | |
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के एक गांव में सोमवार की रात गुजारना केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 76 जवानों के लिए मंगलवार की सुबह जानलेवा साबित हुई।
इस क्षेत्र में तीन दिन तक चले अपने अभियान के बाद सीआरपीएफ की 62वीं बटालियन के जवान सोमवार की शाम टाडमेटला गांव पहुंचे। जवानों ने रात में यहीं ठहरने का फैसला किया और वहां से मंगलवार की सुबह बेस कैंप के लिए चले।
एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'यह जवानों द्वारा की गई सबसे बड़ी गलती थी। इससे उनके अभियान के बारे में नक्सलियों को पता चला और नक्सलियों को घात लगाने के लिए पूरा समय मिल गया।'
बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में तकरीबन 1,000 नक्सली मौजूद थे। गांव में नक्सलियों से सहानुभूति रखने वालों ने जवानों के बारे में जानकारी नक्सलियों को दे दी। अधिकारियों का कहना है कि बड़े नेताओं को छोड़कर ज्यादातर नक्सली ग्रामीणों के लिबास में ही रहते हैं और फर्क करना बेहद मुश्किल होता है।
एक अधिकारी ने बताया कि जवानों को यह हिदायत दी गई थी कि नक्सल प्रभावित इलाकों में अपनी गतिविधियों की जानकारी किसी को नहीं दें। सीआरपीएफ जवानों के सोमवार की रात गांव में रहने की वजह से नक्सलियों को यह जानकारी मिल गई कि जवान सुबह वहां से बेस कैंप के लिए चलेंगे।
इससे नक्सलियों को जवानों को निशाना बनाने के लिए रणनीति तैयार करने का पूरा समय मिल गया। नक्सलियों ने पूरी तरह से यह योजना बना ली थी कि जवानों को सुरक्षित नहीं निकलने देना है। इसी बात को ध्यान में रखकर तीन अलग-अलग स्थानों पर घात लगाई गई।
घायल जवानों के हवाले से पुलिस अधिकारियों ने कहा, 'नक्सलियों द्वारा जिस रास्ते पर जाल बिछाया गया था उस रास्ते में जवान तकरीबन एक किलोमीटर आगे बढ़े और जब वे नक्सलियों के जाल में पूरी तरह फंस गए तो घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने जवानों पर हमला कर दिया। रास्ते के आसपास की पहाड़ियों पर बने बंकर से अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। ऐसी स्थिति में जवानों के पास जवाबी कार्रवाई का मौका बहुत कम था।'
केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी यह माना है कि नक्सल विरोधी अभियान के दौरान कोई न कोई गलती हुई जिसकी वजह से इतनी बड़ी संख्या में जवानों को जान से हाथ धोना पड़ा। उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने के बाद ही पता चल पाएगा कि कहां गलती हुई।
उग्रवाद-विरोधी अभियान के जानकार बी के पंवार ने कहा, 'सीआरपीएफ जवानों ने साथ-साथ चलकर भी गलती की। जबकि यह साफ निर्देश दिया गया था कि छोटे समूहों में चलें और दूरी बनाए रखें ताकि हमले की स्थिति में नुकसान कम से कम हो।'
उन्होंने कहा कि अगर जवान छोटी-छोटी टुकड़ी में चलते तो शायद वे जवाबी कार्रवाई कर पाते। सूत्रों का कहना है कि सीआरपीएफ जवानों की इस टोली के पास हलकी मशीनगन और रॉकेट लॉन्चर जैसे हथियार थे।
जवानों के शव उनके पैतृक स्थलों पर भेज दिए गए हैं। पुलिस महानिरीक्षक आर के विज ने बताया कि जान से हाथ धोने वालों में सबसे ज्यादा 43 जवान उत्तर प्रदेश के थे। उन्होंने कहा कि बिहार और उत्तरांचल के भी छह-छह जवान थे।
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