आईबीएम दक्ष : एफ ऐंड ए कारोबार पर ध्यान | कीर्तिका सुनेजा / नई दिल्ली April 03, 2010 | | | | |
भारत की तीसरी सबसे बड़ी बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) कंपनी आईबीएम दक्ष देश में फाइनैंस और अकाउंटिंग (एफ ऐंड ए) खासकर तेल एवं गैस, खुदरा कंज्यूमर पैकेज्ड गुड्स क्षेत्र के कारोबार पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है।
आईबीएम दक्ष की एफ ऐंड ए के लिए भारत में तीन डिलीवरी सेंटर बेंगलुरु, चेन्न्ई और गुड़गांव में हैं। आईबीएम के उपाध्यक्ष, ग्लोबल डिलीवरी ऐंड सॉल्यूशंस, एफ ऐंड ए एरिक शेंडर का कहना है 'हालांकि, आईबीएम ने वर्ष 2002 में ही एफ ऐंड ए बीपीओ क्षेत्र में कारोबार शुरू किया था लेकिन इस कारोबार की कंपनी के राजस्व में हिस्सेदारी महज 7 फीसदी है। हालांकि, हिस्सेदारी कम होने के बावजूद इस क्षेत्र में हमें कारोबार की काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं।'
एफ ऐंड कारोबार में रेवेन्यू साइकिल, अकाउंटिंग और बुक क्लोज, फाइनैंशियल रिपोर्टिंग, प्लानिंग और एनेलिसिस, नकदी का आवंटन और बिजनेस एडवाइजरी सर्विसेस शामिल हैं। आईबीएम दक्ष भारत से ट्रांजेशन प्रोसेसिंग और बुक क्लोजर जैसी सेवाएं मुहैया कराती हैं।
आईबीएम दक्ष के मुख्य कार्याधिकारी पवन वैश कहते हैं 'हम एशिया-प्रशांत क्षेत्र और फिलीपीन्स में कारोबार का विस्तार करना चाहते हैं। हमारे ज्यादातर ग्राहक इस क्षेत्र की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में रहते हैं।'
ग्लोबल कंसल्टिंग और रिसर्च फर्म एवरेस्ट ग्रुप का अनुमान है कि फाइनैंस और अकाउंट आउटसोर्सिंग (एफएओ) कारोबार 20 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ ही मंदी के ठीक पहले के 3.7 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच सकता है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एफएओ कारोबार में 2009 से तेजी आई है और यहां इस कारोबार में साल-दर-साल के हिसाब से 45 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है।
एवरेस्ट के विश्लेषकों का यह भी कहना है कि विनिर्माण, कंज्यूमर पैकेज्ड गुड्स, रिटेल और हाई-टेक क्षेत्रों में एफएओ कारोबार तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। कंसल्टिंग फर्म एसेंटियस के मुख्य विश्लेषक और संस्थापक निदेशक आलोक शिंदे कहते हैं 'एफऐंडए एक परिपक्व कारोबार है और कारोबार की मात्रा काफी अधिक होती है और साथ ही सौदे का आकार भी 45-450 करोड रुपये के बीच होता है।हालांकि, अमेरिका में एक उद्योग के तौर पर खुदरा कारोबार की शुरुआत नहीं हुई है, लिहाजा इससे आउटसोर्सिंग पर भी असर पड़ा है।'
हालांकि, आईबीएम दक्ष के कार्यकारी उपाध्यक्ष अरविंद अग्रवाल, एफऐंडए इसका कारण यह बताते हैं कि चूंकि, एफऐंडए की इस समय भारत में महज शुरुआत हुई है इसलिए अब तक बहुत कम सौदे हुए हैं।
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