प्रायोजकों की 'वेल्थ' को तरसे दिल्ली कॉमनवेल्थ | कीर्तिका सुनेजा / नई दिल्ली March 18, 2010 | | | | |
बात क्रिकेट की हो तो शायद प्रायोजकों की बाढ़ मैदान पर आ जाए, लेकिन जोर-शोर से प्रचारित किए जा रहे राष्ट्रमंडल खेलों के साथ ऐसा नहीं है।
ये खेल तो इसी साल अक्टूबर में दिल्ली में शुरू होने हैं, लेकिन उनके लिए प्रायोजकों का टोटा सा लग रहा है। बेशक प्रायोजन अधिकारों के लिए कंपनियां आ रही हैं, लेकिन उनकी रफ्तार घोंघे की तरह बहुत धीमी है।
हालांकि काम आगे बढ़ रहा है और आयोजन समिति ने इन खेलों के लिए कोका कोला को आधिकारिक पेय साझेदार बना लिया है। इसके लिए करार पर दस्तखत भी कर दिए गए हैं। इसके अलावा बतौर प्रायोजक इन खेलों को सरकारी उपक्रम एनटीपीसी, एयर इंडिया, भारतीय रेल और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का साथ भी हासिल हो गया है।
खेलों की प्रायोजक हीरो होंडा भी है। इस श्रेणी में मारुति सुजूकी, सैमसंग इंडिया, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, एडिडास और रीबॉक भी शामिल होना चाहती हैं और समिति की उनसे बात चल रही है।
ऊंट के मुंह में जीरा
समिति ने इन खेलों के प्रसारण अधिकारों की बिक्री से भी तकरीबन 68 करोड़ रुपये की रकम हासिल कर ली है। लेकिन यह रकम बहुत कम है। राष्ट्रमंडल खेलों की आधिकारिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती है। दूसरे देशों में इन खेलों के प्रसारण के अधिकार दूसरी कंपनियों को बेचे गए हैं।
समिति को खेल मंत्रालय ने 1,620 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था और प्रायोजन अधिकारों की बिक्री से मिली रकम इसे लौटाने में उसकी मदद करेगी। यह रकम जुटाना अभी उसके लिए मुश्किल ही हो रहा है, लेकिन समिति मायूस नहीं है।
समिति के महासचिव और प्रवक्ता ललित भनोत ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'हमें ऐसे प्रायोजक भी हासिल हो रहे हैं, जो प्रायोजन के बदले रकम दे रहे हैं और अगले कुछ महीनों में ज्यादातर रकम आ जाएगी। उसका आंकड़ा वाकई हमारा हौसला बढ़ाने वाला है।'
समिति ने प्रायोजकों की 4 श्रेणियां बनाई हैं। पहली श्रेणी में शीर्ष साझेदार हैं, जिन्हें 100-100 करोड़ रुपये देने होंगे। उनके बाद साझेदार 50-50 करोड़ रुपये में अधिकार खरीदेंगे। प्रायोजक को 25 करोड़ रुपये और सह प्रायोजक को 10-10 करोड़ रुपये देने होंगे।
शीर्ष साझेदार केवल 2 होंगे, जिनके बारे में अभी फैसला नहीं हुआ है। उनके अलावा 10 साझेदार हो सकते हैं और 12 प्रायोजक हो सकते हैं। लेकिन सह प्रायोजकों के बारे में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। समिति के एक अधिकारी के मुताबिक उनके बारे में नियम और दूसरी बातें अभी तय की जा रही हैं।
सिर उठेगा कोक का
इस बीच कोका कोला इंडिया आधिकारिक पेय साझेदार बनने के बाद खासे फायदे में रह सकती है। 3 से 14 अक्टूबर तक चलने वाले इन खेलों में केवल यही कंपनी अपने शीतल पेय, पानी, जूस और दूसरे पेय दर्शकों को बेच पाएगी। एथलीटों, टीम अधिकारियों और स्वयंसेवकों को भी इसी कंपनी के उत्पाद दिए जाएंगे।
आयोजन समिति ने स्पोर्ट मार्केटिंग ऐंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के साथ प्रायोजन और लाइसेंस संबंधी तकनीकी सेवाओं के लिए समझौता किया है। अलबत्ता खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'आयोजन समिति को लगता है कि आखिरी के 6 महीने में प्रायोजकों की कतार लग जाएगी।
फिलहाल सेल और एयर इंडिया जैसे प्रायोजक उसके पास हैं। लेकिन हमें नहीं लगता कि ज्यादा विदेशी कंपनियां प्रायोजन के लिए आएंगी। प्रसारणकर्ताओं की ओर से भी पुख्ता जवाब नहीं मिले हैं, इसलिए खेलों के बाद ही पता चलेगा कि कितनी रकम हाथ आई।'
खाली पड़ा मैदान
प्रायोजक श्रेणी रकम संख्या*
मुख्य साझेदार 100 2
साझेदार 50 10
प्रायोजक 25 12
सह प्रायोजक 10 तय नहीं
रकम करोड़ रुपये में
*संभावित प्रायोजकों की संख्या
राष्ट्रमंडल खेल शुरू होने में महज़ 200 दिन
लेकिन प्रायोजकों में कोई जोश नहीं
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