डॉट ने मांगी दूरसंचार ऑपरेटरों से जानकारी | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली March 16, 2010 | | | | |
भारत के नियंत्रक एंव महालेखापरीक्षक (कैग) ने निजी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के खातों के हिसाब-किताब की जांच करने का फैसला लिया है।
दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल, रिलायंस कम्युनिकेशंस, वोडाफोन एस्सार और टाटा टेलीसर्विसेज को निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों के तहत कंपनियों को 2006-07 से अगले तीन साल तक के अपने खातों की जानकारी अगले 15 दिनों में जांच के लिए उपलब्ध कराने होंगे। इन कंपनियों को यह पत्र 11 मार्च को भेजा गया था।
डॉट ने कंपनियों से कुल लागत, मूल लागत व मौजूदा लागत, परिचालन खर्च और अन्य स्त्रोतों से होने वाली कुल आय कितनी थी जैसी जानकारियां मांगी हैं। संपर्क करने पर टाटा टेलीसर्विसेज के प्रवक्ता ने कहा, 'हमें वह पत्र मिला है जो अन्य ऑपरेटरों को भी भेजा गया है। हम कैग के साथ पूरा सहयोग करते हुए मांगी गई जानकारी सही समय तक उपलब्ध कराएंगे।'
वहीं इस संबंध में अन्य कंपनियों ने कोई जवाब नहीं दिया है। यह कदम डॉट के पिछले साल के उस फैसले के तहत आया है जिसमें इसने भारती एयरटेल, आरकॉम, वोडाफोन एस्सार, आइडिया सेल्युलर और टाटा टेलीसर्विसेज इन पांच कंपनियों की स्वतंत्र विशेष जांच का आदेश दिया था। कंपनियों पर कथित रुप से सरकार को दी जाने वाली लाइसेंस फीस की चोरी का आरोप था।
आरकॉम और भारती की ऑडिट रिपोर्ट को पहले ही सौंपा जा चुका है और बाकी रिपोर्टों का इस महीने इंतजार किया जा रहा है। डॉट का कदम दूरसंचार नियामक ट्राई की जांच के बाद आया। इसमें ट्राई ने लंबी दूरी के सेगमेंट की आय में अंतर देखा।
भारती एयरटेल जहां 6 फीसदी लाइसेंस फीस आकर्षित करती है, वहीं अन्य मोबाइल सेवा कंपनियां के लिए यह 10 फीसदी फीस होती है। भारती एयरटेल के विशेष ऑडिटरों ने कंपनी के लिए 174 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की है। यह राशि कंपनी को डॉट के नियमों के तहत लाइसेंस फीस के रूप में सरकार को देनी पड़ सकती है।
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