दूसरे प्रदेशों में भी बनवाएंगे मूर्तियां : मायावती | बीएस संवाददाता / लखनऊ March 16, 2010 | | | | |
राज्य में स्मारकों, पार्कों और मूर्तियों को बनाने के लिए सरकारी खजाने का पैसा पानी की तरह बहाने के आरोपों से बेपरवाह बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने उनके विरुध्द लग रहे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए साफ ऐलान कर दिया कि अगर बसपा देश के अन्य राज्यों में सत्ता पर काबिज हुई तो वहां भी सरकारी खर्चे से दलित महापुरुषों के भव्य स्मारक बनवाने का काम किया जाएगा।
बसपा संस्थापक कांशीराम की 76वीं जयंती पर पार्टी के स्थापना की रजत जयंती के मौके पर यहां आयोजित राष्ट्रीय महारैली में मायावती ने कहा- कांग्रेस पार्टी ने यदि दलित समाज के महापुरुषों के स्मारक बनवाए होते तो हमें ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ती।
हमारी सरकार ने तो दलित समाज के महापुरुषों के स्मारकों पर तो बजट का एक प्रतिशत से भी कम खर्च किया है मगर कांग्रेस पार्टी की सरकारों ने गांधी-नेहरू परिवार से जुड़े महापुरुषों के नाम पर देश के कोने-कोने में हजारों करोड़ रुपये के खर्चे से स्मारक बनवाए हैं।
मायावती ने कहा कि उनकी खुद की मूर्तियां पार्टी के संस्थापक कांशीराम की वसीयत में लिखी गई उनकी इच्छा के सम्मान में लगाई जा रही है। उन्होंने विरोधियों को निशाने पर लेते हुए सवाल किया कि कोई संविधान विशेषज्ञ यह तो बताए कि आखिर कहां लिखा है कि जिंदा व्यक्ति की मूर्ति स्थापित नहीं की जा सकती।
बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी को जब्त करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर मायावती ने कहा कि बसपा के चुनाव चिन्ह में हाथी की सूंड़ नीचे की तरफ है जबकि पार्कों और स्मारकों में बनाए गए हाथियों की सूंड़ स्वागत मुद्रा में ऊपर की तरफ है। देश के सभी मंदिरों में स्थापित हाथियों की मूर्तियों में हाथी की सूंड़ स्वागत मुद्रा में ऊपर उठी हुई है, जो हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है।
मायावती ने घोषणा की कि केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए महिला आरक्षण विधेयक के विरोध में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर 14 अप्रैल को बसपा पूरे देश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेगी। मायावती ने उनके और पार्टी के विरुध्द चल रहे मुकदमों की निगरानी के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में एक लीगल सेल की स्थापना की घोषणा की है।
मायावती ने बाबा रामदेव का बिना नाम लिए सांकेतिक लहजे में कहा-कुछ बाबा कसरत कराते हैं और बाद में अपने नुस्खे बेचकर धन कमाने में लगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि देश की दो-तिहाई आबादी गांवों में बसती है। ये लोग खेत खलिहानों में पसीना बहाते हैं, इनकी कसरत तो यूं ही हो जाती है और पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि इन बाबाओं से सावधान रहें। कुछ बाबा तो राजनैतिक पार्टियां बनाने की फिराक में हैं।
लखनऊ परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक राजीव कृष्णा ने बताया कि 4 पुलिस अधीक्षक, 32 अपर पुलिस अधीक्षक, 71 पुलिस उपाधीक्षक, 165 थाना प्रभारी, 165 इंस्पेक्टर, 1415 उपनिरीक्षक और 4,000 से अधिक सिपाहियों को सुरक्षा व्यवस्था में लगाया गया है।
पूरा लखनऊ शहर नीले रंग में रंग गया। हजरतगंज से लेकर रैली स्थल रमाबाई अंबेडकर मैदान तक 12 किलोमीटर लंबा मार्ग नीले रंग में नहा रहा था। चाहे सजावटी लाइटें हों, स्वागत द्वार हों, बैनर हों या फिर प्रमुख चौराहों पर फौव्वारों में लगी लाइटें, सब कुछ नीले रंग में। हर रास्ता नीली झंडियों से पट गया। 54 चौराहों का सुन्दरीकरण किया गया, जहां लाइटें लगाईं गईं। विपक्ष का आरोप है कि इस रैली पर करीब दो सौ करोड़ रुपये खर्च कर रही हैं।
उसने इसे सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग की हद पार कर देने की संज्ञा दी है। रैली स्थल पर पत्थरों से बना फर्श और बैठने के लिए स्टेडियम जैसी सीढ़ियां होने से इस बार उतने इंतजाम नहीं करने पड़े। मुख्य मंच के दोनों तरफ दो बड़े पंडाल बने थे, जहां मंत्री व विधायक बैठे थे। दूसरे पंडाल में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों व मीडिया के बैठने की व्यवस्था रही।
मायावती की महारैली
मायावती ने कहा कि अगर गांधी-नेहरु की मूर्तियां लग सकती हैं तो दलित नेताओं की भी मूर्तियां लग सकती हैं
मायावती ने अपने ऊपर और पाटी पर चल रहे मुकदमों की निगरानी के लिए सतीश मिश्रा के नेतृत्व में बनाई समिति
मायावती ने इशारे में ही बाबा रामदेव पर भी साधा निशाना और उपस्थित जनसमूह को दी बाबाओं से बचकर रहने की नसीहत
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