यूरोप और अमेरिका में मांग के कम रहने और दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक वियतनाम में स्टॉक के भरे होने से काली मिर्च के वैश्विक कारोबार में आश्चर्यजनक मंदी देखी जा रही है।
वियतनाम के काली मिर्च पैदा करने वाले किसानों और कारोबारियों पर तो मुसीबत ही आ पड़ी है। उन पर अपने भंडार को बेचने का लगातार दबाव पड़ रहा है। यूरोप से इसकी मांग के कमजोर पड़ने से पिछले हफ्ते एएसटीए ग्रेड की कालीमिर्च का भाव वियतनाम में 150 डॉलर प्रति टन कमजोर होकर 3,700 डॉलर प्रति टन रह गया।
500 जीएल किस्म की काली मिर्च का भाव टूटकर 3,100 से 3,150 डॉलर प्रति टन तक चला गया जबकि 550 जीएल का भाव लुढ़ककर 3,300 से 3,350 डॉलर प्रति टन तक चला गया है। भारतीय उपमहाद्वीप के कारोबारियों ने एमजी-1 ग्रेड किस्म के लिए 3,600 डॉलर प्रति टन की पेशकश की है। पर बाजार से अमेरिकी खरीदार पूरी तरह गायब हो गए हैं।
भारत के शीर्ष निर्यातकों के अनुसार, पश्चिम एशिया से मसाले के बहुत ही सीमित खरीदार मिल रहे हैं। उधर, इस महीने कालीमिर्च की कीमत में तेजी की उम्मीद कर रहे वियतनाम के कारोबारियों को अमेरिकी खरीदारों के हाथ खींच लेने से काफी निराशा हुई है।
कई रिपोर्टों में कहा गया है कि इस साल कालीमिर्च के उत्पादन में कमी आने के आसार हैं जबकि इसकी खपत उत्पादन से अधिक रहेगा। इस तथ्य के मद्देनजर वियतनाम अपने भंडार को ज्यादा नहीं खोल रहा है। वहीं भारत और दूसरे देशों ने तेजी से अपने स्टॉक को बेचा है। जनवरी से अप्रैल के बीच वियतनाम से होने वाले निर्यात के 21,608 टन के बीच रहने का अनुमान जताया गया है जबकि उसका घोषित भंडार 85,000 टन है।
बाजार से अमेरिकी आयातकों के नदारद रहने से वियतनामी कारोबारी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। काली मिर्च के कम उठान होने से स्थिति बड़ी नाजुक हो चुकी है और इसका परिणाम यह हुआ है कि काली मिर्च की कीमतें काफी गिरी हैं। उस पर कोढ़ में खाज यह कि वियतनाम में लोन पर ब्याज की दरें काफी ऊंची है।
इसके चलते वहां के कारोबारियों पर कर्ज का भारी बोझ लद चुका है। इसका असर यह हो रहा है कि कर्ज और वित्तीय आपदा से मुक्ति के लिए कारोबारी अपने काली मिर्च के स्टॉक को जल्दबाजी में बेचने लगे हैं।