महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि मध्य प्रदेश को कपड़ों, चीनी और तंबाकू पर वैट लगाना चाहिए। 31 मार्च 2009 को समाप्त हुए वर्ष के लिए कैग द्वारा दी गई रपट को आज राज्य विधानसभा में रखा गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 'कपडे, चीनी और तंबाकू उत्पाद सेंट्रल एक्साइज ऐंड टैरिफ ऐक्ट 1985 के तहत कर मुक्त उत्पाद हैं। अगर ऐसा नहीं हो तो इन पर 4 फीसदी कर लगाया जा सकता है। पर भारत सरकार ने इन्हें 2006 के मार्च में अतिरिक्त उत्पाद शुल्क से मुक्त कर दिया है इसलिए अब इन वस्तुओं पर 4 फीसदी कर लगाया जा सकता है।' इस रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि राजस्व नुकसान को रोकने के लिए वैट के प्रावधानों में संशोधन किया जाए। कैग ने कहा है कि वैट के प्रावधानों में कुछ कमी होने की वजह से राजस्व का नुकसान हो रहा है। कैग ने यह भी कहा है कि टैक्स की गणना करने की पध्दति में भी कुछ कमी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पाद के नाम के अभाव में टैक्स की दरों की पुष्टि नहीं हो सकती है। कैग का मानना है कि इस वजह से राज्य को राजस्व संग्रह में नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार को हर तिमाही दाखिल किए जाने वाले रिटर्न के ढांचा को अनिवार्य तौर पर बदलना चाहिए। कैग का मानना है कि इससे राजस्व संग्रह के लिहाज से फायदा। क्योंकि ऐसा करने से किसी वस्तु और उसके कोड को शामिल किया जा सकेगा। कैग ने कहा है कि मौजूदा वैट प्रावधानों में इस बात का बंदोबस्त नहीं किया गया है कि गैरपंजीकृत डीलरों के यहां से की जाने वाली खरीद को इसमें शामिल किया जा सके। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निर्यात की स्थिति में पुष्टि करने के सही ढांचे के अभाव में भी राज्य को राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा आंकड़ों का सही तरह से प्रबंधन नहीं होने की वजह से भी सरकार को नुकसान उठाना पड़ रहा है। राजस्व संग्रह में कमी की वजह से कैग ने अनियमित सर्वेक्षण को भी माना है। कैग ने यह भी माना है कि डीलर समय से रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं। दो वाणिज्यिक कर कार्यालय से प्राप्त जानकारी हासिल करके कैग ने कहा है कि 2006-07 तक डीलरों द्वारा 11,959 रिटर्न दाखिल किए जाने थे। इसमें से 3,329 डीलरों ने रिटर्न नहीं दाखिल किया।
