फेम इंडिया : निवेशकों को फायदा | दिशासूचक | | विशाल छाबड़िया, पुनीत वाधवा और जीतेंद्र कुमार गुप्ता / February 25, 2010 | | | | |
भारत की तमाम कंपनियां तेजी से अधिग्रहण बोलियों में उतर रही हैं।
हाल ही में उड़ीसा स्पंज आयरन और एबीजी शिपयार्ड के अधिग्रहण को लेकर कंपनियों के बीच दो-दो हाथ के बाद एक और कंपनी फेम इंडिया के लिए आईनॉक्स और अनिल धीरुभाई अंबानी समूह आमने सामने आ गए हैं। मगर अच्छी बात यह है कि इन सब मामलों में निवेशकों की चांदी रहती है।
इस महीने की शुरुआत में आईनॉक्स लेशर ने 66 करोड़ रुपये खर्च कर फेम इंडिया में 43 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की थी। कंपनी ने 12.7 करोड़ रुपय खर्च कर बाजार से 7 फीसदी हिस्सेदारी पर कब्जा जमाया। अतिरिक्त 20 फीसदी हिस्सेदारी के लिए कंपनी ने 51 रुपये प्रति शेयर पर खुली पेशकश भी की है।
इस बीच रिलायंस मीडिया वर्क्स लिमिटेड (आरएमएल) ने भी अधिग्रहण की इच्छा जताते हुए 53 फीसदी हिस्सेदारी के लिए 83.4 रुपये प्रति शेयर की बोली लगाई है। यह कीमत आईनॉक्स की पेशकश से 63 फीसदी ज्यादा है। आईनॉक्स की पेशकश से पहले आरएमएल ने फेम में अपनी हिस्सेदारी 12.14 फीसदी तक बढ़ा ली थी।
आरएमएल ने इस मामले में सेबी से जांच की भी गुहार लगाई है। आरएमएल का कहना है कि कंपनी ने फेम इंडिया के प्रवर्तकों को पहले जो पेशकश की थी उससे कम कीमत में फेम आईनॉक्स को कैसे बेची जा सकती है। आरएमएल ने फेम के एफसीसीबी के मामले में फेमा के उलंघन का भी आरोप लगाया है।
व्यवसाय विस्तार के सिलसिले में फेम का अधिग्रहण दोनों ही कंपनियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आरएमएल के पास बिग ब्रांड के तहत 246 स्क्रीन हैं और यह इस क्षेत्र की सबसे बड़ी खिलाड़ी है। फेम के अधिग्रहण के बाद इसके खाते में 95 और स्क्रीन जुड़ जाएंगे। इसकी मदद से कंपनी दौड़ में आईनॉक्स से काफी आगे निकल जाएगी।
आईनॉक्स सुनहरे पर्दे की दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है जिसके पास 105 स्क्रीन हैं। फेम का अधिग्रहण इसे आईएमएल के बहुत करीब खड़ा कर देगा। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि आरएमएल सिर्फ आईनॉक्स के लिए सौदा महंगा बना रही है।
हालांकि यह मामला किस ओर जाएगा, यह तो वक्त ही बताएगा। कंपनियों के बीच फेम को लेकर जो भी खींच तान चल रही हो, इसका फायदा निवेशकों को जरूर हो रहा है। जनवरी में 30 रुपये की कीमत पर चल रहा फेम का शेयर उसके बाद से तीन गुना हो चुका है।
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