बाजार में बढ़ रही है खुदरा निवेशकों की प्रतिभागिता | सवाल-जवाब : वेद प्रकाश चतुर्वेदी, प्रबंध निदेशक, टाटा म्युचुअल फंड | | स्वरूप चक्रवर्ती / February 23, 2010 | | | | |
टाटा म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक वेद प्रकाश चतुर्वेदी का मानना है कि निवेशकों का भरोसा धीरे-धीरे बाजार में लौट रहा है हालांकि, लंबी अवधि के निवेशक अभी भी इंतजार करो और देखो की नीति अपना रहे हैं।
चतुर्वेदी, जो आईटी और ऑटो जैसे क्षेत्रों को लेकर उत्साहित हैं, ने बाजार के परिदृश्य और म्युचुअल फंड में खुदरा निवेशक की प्रतिभागिता के बारे में स्वरूप चक्रवर्ती से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
बाजार में आई वर्तमान गिरावट को आप किस नजरिये से देखते हैं?
हाल में विश्व भर के देशों को जिन कठिनाइयों, जैसे नकदी का संकट, ऋण की अनुपलब्धता और निवेशकों की अरुचि, का सामना करना पड़ा ये धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे।
कभी-कभार बाजार नाटकीय बदलाव की उम्मीद करता है और इसलिए पिछले छह महीने से हमने देखा है कि मूल्यांकन में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इसलिए उच्च प्रतिफल की एक अवधि के बाद और बाजार में 10 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीदों की वजह से बाजार एक सीधी दिशा में नहीं चल पा रहा है।
तीसरी तिमाही के आंकड़े भी बुरे नहीं थे। इसके बावजूद सेंसेक्स में लगभग 1000 अंक की गिरावट देखी गई। ऐसा क्यों?
बाजार किसी व्यक्तिगत घटना पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं देता है। बाजार ने तीसरी तिमाही के आंकड़ों के सुधार को शामिल कर देखा है। घरेलू बाजार में जो कुछ भी हुआ उसमें वैश्विक कारणों का महत्वपूर्ण योगदान है। वैश्विक और घरेलू बाजार में संबंध है इसलिए उससे प्रभावित होना जारी रहेगा। इसलिए हमें वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए अपने बाजारों से उम्मीद करनी होगी।
क्या इक्विटी बाजार में प्रवेश के लिए यह समय उपयुक्त है?
अगले 5-10 वर्षों तक भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना काफी आकर्षक रहेगा। हालांकि, इस अवधि में अस्थिरता भी देखी जाएगी जैसा कि पिछले वर्षों में देखा गया है। धीरे-धीरे निवेशकों का भरोसा इक्विटी बाजार में लौटेगा।
अगली तिमाही तक बाजार की दशा-दिशा क्या होगी? आप किन क्षेत्रों को लेकर उत्साहित हैं?
अगले तीन महीने तक बाजार में अस्थिरता बरकरार रहेगी और विश्लेषक तथा निवेशक बजट और महंगाई को देखते हुए दिशा निर्धारित करेंगे। विश्लेषक और बड़े निवेशकों के लिए अभी इंतजार करो और देखो की स्थिति है। हम आईटी, पूंजीगत वस्तुएं, निर्माण क्षेत्र, ऑटो और ऑटो आधारित उद्योग को लेकर उत्साहित है जबकि तेल एवं गैस तथा रियल्टी क्षेत्र में सतर्कता बरत रहे हैं।
अगले दो महीनों में बाजार को कौन-कौन से कारक प्रभावित करेंगे?
कंपनियों के चौथी तिमाही के परिणाम और अगले वित्त वर्ष के लिए कंपनियों के परिदृश्यों पर मुख्य रूप से गौर फरमाया जाएगा। व्यक्तिगत तौर पर मैं अगले दो महीनों में आर्थिक बढ़ोतरी के परिदृश्य को लेकर उत्साहित हूं।
जनवरी में इक्विटी फंडों में हुए प्रवाह के बारे में आपका क्या नजरिया है?
कारोबारी और उपभोक्ता भरोसे के साथ ही भारत के संदर्भ में वैश्विक निवेशकों के नजरिये में भी सुधार हुआ है। हालांकि, यह सुधार क्रमिक तौर पर हो रहा है। ग्रोथ के नजरिये से देखें तो औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में क्रमिक तौर पर सुधार हो रहा है और निवेशकों में भरोसे की वापसी का यह पहला चरण है।
जनवरी और फरवरी के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि खुदरा निवेशकों के निवेश में तेजी आ रही है। जनवरी महीने में बड़े निवेशकों या वैसे निवेशक जो पूरे समझ-बूझ के साथ कनवेश करते हैं, ने प्रमुख रूप से निवेश किया। हालांकि, म्युचुअल फंडों में खुदरा प्रतिभागिता भी क्रमिक रूप से बढ़ रही है।
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