...बजट से नाउम्मीद है शेयर बाजार | बीएस संवाददाता / मुंबई February 20, 2010 | | | | |
प्रत्येक वर्ष जब वित्त मंत्री बजट की तैयारी कर रहे होते हैं तो बाजार उनसे काफी उम्मीदें लगाए बैठा होता है।
बाजार को आशा रहती है कि वित्त मंत्री करों में रियायत, उद्योगों को प्रोत्साहन आदि देंगे और बाद में इन आशाओं को डिस्काउंट करना शुरू करता है। हालांकि यह साल कुछ अलग है क्योंकि शीर्षस्थ ब्रोकरेज हाउस और फंड कंपनियों को बजट से ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं। इसका नतीजा इस महीने बेंचमार्क सूचकांकों, सेंसेक्स और निफ्टी, के एक संकुचित दायरे में जाने से स्पष्ट नजर आता है।
बाजार प्रतिभागियों का कहना है कि वित्त मंत्री इस बजट में राजकोषीय घाटे पर अधिक ध्यान देंगे। यूरोपीय देशों के हालिया ऋण संकट को देखते हुए ऐसे ही कदम उठाए जाने की उम्मीद की जा रही है। बाजार प्रतिभागियों के बीच इस बात को लेकर सर्वसम्मति है कि राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.5 से 5.8 प्रतिशत रहना चाहिए।
नोमुरा फाइनैंशियल एडवाइजरी ऐंड सर्विसेज के इक्विटी प्रमुख (भारत) और प्रबंध निदेशक पंकज वैश का कहना है, 'सरकार को अगले वर्ष के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के लिए खाका तैयार करने की भी चर्चा करनी चाहिए।'
राजकोषीय घाटा कम करने की एक स्पष्ट घोषणा बाजार के मूड को बदल सकती है। एवेंडस कैपिटल के प्रबंध निदेशक कौशल अग्रवाल ने कहा, 'बाजारों के ऊपर जाने की संभावना प्रबल हो जाएगी अगर सरकार राजकोषीय घाटे का ढंग से प्रबंधन करने से संबंधित मजबूत कदम उठाने के संदेश देती है। दीर्घावधि के अधिकांश निवेशकों के लिए राजकोषीय घाटा काफी महत्वपूर्ण है।'
घाटे को कम करने का एक तरीका तो यह है कि जिन क्षेत्रों को प्रोत्साहन पैकेज दिया गया है, जैसे ऑटोमोबाइल, एफएमसीजी आदि, उसे समाप्त कर दिया जाए और सेवा कर में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाए। बाजार उत्पाद कर में भी 2 प्रतिशत इजाफे का अनुमान कर रहा है। लेकिन अगर इन उपायों की घोषणा की जाती है तो बाजार पर उसका प्रभाव काफी कम होगा क्योंकि पहले ही बाजार ऐसा मान कर चल रहा है।
इंडिया इन्फोलाइन के अध्यक्ष निर्मल जैन ने कहा, 'शेयर बाजार तभी अपनी प्रतिक्रिया देंगे जब उत्पाद करों में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोतरी की जाती है।' हालांकि, एडलवाइस कैपिटल के अध्यक्ष राजेश शाह का मानना है कि सरकार प्रोत्साहन पैकेज में ज्यादा कटौती नहीं करेगी। उन्होंने कहा, 'बाजार को उत्पाद करों में मामूली बढ़ोतरी की उम्मीद है।'
यह भी अनुमान किया जा रहा है कि बजट कुछ क्षेत्रों पर खर्च बढ़ाने पर ध्यान देगा। इंडिया इन्फोलाइन के जैन ने कहा, 'ऐसी उम्मीद की जा रही है कि बजट बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर कुछ अधिक ही ध्यान देगा और ऊर्जा क्षेत्र को कुछ सुविधाएं मिलेंगी।' इससे निर्माण, सड़क, ऊर्जा और उपकरण कंपनियों को फायदा होगा।
एजेंडा में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विनिवेश के भी शामिल होने का अनुमान है। टाटा म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक वेद प्रकाश चतुर्वेदी ने कहा, 'हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2010-11 में लगभग 30,000 करोड़ रुपये का विनिवेश किया जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों में विनिवेश की चर्चा की जाएगी।' लेकिन नोमुरा के वैश का मानना है कि सरकार बजट में जुटाई जाने वाली राशि के बड़े आंकड़े शामिल करने से बचेगी।
कुछ का मानना है कि शेयर बाजारों पर बजट का महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं होगा और इस पर वैसा ही कारोबार चालेगा जैसा कि आम दिनों होता है। हीलियॉस कैपिटल मैनेजमेंट के फंड प्रबंधक समीर अरोड़ा ने कहा, 'इस बार शेयर बाजारों पर बजट का प्रभाव पड़ने की संभावना कम है। बाजार को प्रोत्साहित करने के उपाय इस बार सरकार के पास सीमित हैं।'
उन्होंने कहा कि बजट के बाद बाजारों में कमजोरी रहेगी और यह वैश्विक संकेतों से ज्यादा प्रभावित होगा। रिलायंस म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी मधुसूदन केला ने कहा कि उन्हें बजट से ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं।
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