सीमेंट की उत्पादन क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य | दो साल में 24.5 करोड़ टन की क्षमता को बढ़ा 30 करोड़ टन करने जा रही हैं कंपनियां | | चंदन किशोर कांत / मुंबई February 18, 2010 | | | | |
अर्थव्यवस्था में हुए अच्छे सुधार और मांग तेज होने के बाद सीमेंट उद्योग अपनी क्षमता का विस्तार करने में जुट गया है।
यह उद्योग 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश से अपनी क्षमता वर्ष 2012 तक बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने में लग गया है। सीमेंट कंपनियां अभी सीमेंट की मजबूत कीमत का लाभ उठा रही हैं। इनका मानना है कि भविष्य में सीमेंट की खपत में अच्छी-खासी वृद्धि होगी।
मुनाफे का मौजूदा दौर इस दशक के मध्य से शुरू हुआ जो उद्योग के लिए मुनाफे का सबसे लंबा दौर है। विस्तार के नए दौर की योजना अगले 5 साल में सीमेंट की मांग में होने वाली संभावित वृद्धि को ध्यान में रख बनाई जा रही है।
देश के मशहूर ब्रांड एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स की मालिक और स्विट्जरलैंड की दिग्गज सीमेंट कंपनी होलसिम की योजना 1 अरब डॉलर का निवेश करने की है। इस राशि से वह अपनी मौजूदा 6 करोड़ टन उत्पादन क्षमता में और 1 करोड़ टन जोड़ लेगी।
वैसे भविष्य की जरूरतों को सबसे पहले समझने वाली कंपनियों में आदित्य बिरला समूह एक है। तभी तो ग्रासिम और अल्ट्राटेक की मालिक इस समूह ने अगले 5 साल में 3 अरब डॉलर के निवेश से अपनी मौजूदा 5 करोड़ टन की उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 7.5 करोड़ टन तक करने की योजना बनाई है।
उद्योग विश्लेषकों के मुताबिक, किसी सीमेंट संयंत्र को शुरू होने में 2 से 3 साल लगते हैं। एक विश्लेषक ने बताया, '9 फीसदी से ज्यादा की सालाना मांग के बीच कंपनियों ने यदि अभी से योजना बनानी शुरू नहीं की तो 2014 तक क्षमता में कमी हो जाएगी।'
गौरतलब हो कि सीमेंट की मांग और जीडीपी की वृद्धि आपस में संबंधित होते हैं। उद्योग विश्लेषकों का मानना है कि जीडीपी की वृद्धि दर 7 फीसदी से अधिक रहने के चलते सीमेंट उद्योग की विकास दर करीब 9 फीसदी रहेगी।
मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक देश में सीमेंट की खपत करीब 20.5 करोड़ टन रहने का अनुमान है। दूसरी ओर सीमेंट की उत्पादन क्षमता 25 करोड़ टन के आसपास होगी। चूंकि कई नई इकाइयां अपनी पूर्ण क्षमता के साथ नहीं चलाई जा सकती इसलिए अनुमान है कि वित्त वर्ष 2011 में मांग और आपूर्ति के बीच बेहतर संतुलन होगा।
विश्लेषकों ने बताया, 'वित्त वर्ष 2012 में करीब 3 से 3.5 करोड़ टन का सरप्लस होगा।' गौरतलब है कि होलसिम समूह और बिड़ला की कंपनियों का देश की एक तिहाई से अधिक की उत्पादन क्षमता पर कब्जा है।
उत्तर भारत की प्रमुख कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स ने अपनी उत्पादन क्षमता को 2.2 करोड़ से बढ़ाकर 3.5 करोड़ टन करने का लक्ष्य रखा है। दूसरी ओर श्रीसीमेंट भी अगले 2 से 5 साल में छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में नए संयंत्र लगाने पर विचार कर रही है। दुनिया की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी लाफार्ज भी देश में आक्रामक विस्तार करने का विचार कर रही है।
सरकार के मुताबिक वर्ष 2020 तक यानी अगले 10 साल में देश में सालाना 60 करोड़ टन सीमेंट की जरूरत होगी। औसतन 10 लाख टन की उत्पादन क्षमता का संयत्र लगाने पर 400 करोड़ रुपये का निवेश करना पड़ता है। इस तरह सीमेंट उद्योग को बढ़ती मांग पूरा करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत है।
पिछले 7 साल में सीमेंट उत्पादन
साल क्षमता उत्पादन
2003-04 14.63 11.75
2004-05 15.39 12.76
2005-06 16.04 14.18
2006-07 16.80 15.56
2007-08 119.83 16.83
2008-09 21.92 18.14
2009-10* 24.50 20.50
आंकड़े करोड़ टन में
* उद्योग का अनुमान स्त्रोत : सीमेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन
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