बाजार में बजट का उत्साह नहीं | बाजार खिलाड़ियों का कहना है कि वे आम बजट को लेकर तटस्थ हैं | | पलक शाह और आशीष रुखैयार / मुंबई February 17, 2010 | | | | |
कुछ साल पहले तक जिस दिन वित्त मंत्री बजट पेश किया करते थे उस दिन डीलिंग रूम में जबरदस्त गतिविधियां हुआ करती थीं।
डीलरों और विश्लेषकों को आम दिनों की तुलना में जल्दी काम पर आना होता था। जो कर्मचारी संस्थागत डेस्क पर काम करते थे उनके पास हांग कांग और सिंगापुर के धनाढय ग्राहकों के कॉल की भरमार हुआ करती थी।
अब परिस्थितियां बदल गई हैं। एक तरफ जहां आम बजट अभी भी एक महत्वपूर्ण उपलक्ष्य है वहीं बाजार में ज्यादा लोग ऐसे नहीं हैं जो उत्सुकता से इस दिन का इंतजार कर रहे हों। इसकी प्राथमिक वजह तो यह है कि सरकार भारी-भरकम घोषणाओं के लिए बजट तक का इंतजार नहीं करती है।
एवेंडस के प्रबंध निदेशक कौशल अग्रवाल का मानना है कि आम बजट को लेकर बाजार बड़े पैमाने पर तटस्थ रहेगा और क्रमिक तौर पर इसकी महत्ता में कमी आती देखी गई है। अग्रवाल ने कहा, 'वित्त मंत्रालय ने आम बजट को संदेश पहुंचाने के एक मंच के तौर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जबकि पहले यह मंच वार्षिक संदेश का एकमात्र माध्यम होता था।'
उन्होंने कहा, 'यही वजह है कि अधिकांश निवेशकों को बजट से भारी उम्मीद नहीं है।' अग्रवाल अकेले ऐसा नहीं मान रहे। बजट के अधिक महत्व नहीं देने की एक वजह यह भी है कि किसी को भी वित्त मंत्री से ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं।
रिलायंस म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी मधुसूदन केला का कहना है, 'इस साल बाजार को बजट से ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं क्योंकि सरकार का ध्यान मुख्य रूप से राजकोषीय घाटे की तरफ होगा।' उनका मानना है कि सरकार नीतिगत उपायों को जारी रखेगी और कोई नकारात्मक अचंभा नजर नहीं आएगा।
हालांकि, आने वाले महीनों में बाजार वैश्विक संकेतों पर अपनी प्रतिक्रिया ज्यादा दिखाएगा न कि बजट की घोषणाओं पर। दिलचस्प बात यह है कि ऐसे विचार वाले विशेषज्ञों को पाना इस साल कठिन नहीं है।
ऐसी खबरों को देखते हुए कि सरकार राजकोषीय घाटे और बढ़त के बीच तालमेल बिठाने के कठिन दौर से गुजरेगी, इस बात की संभावना कम नजर आती है कि शेयर बाजारों के लिए कोई बड़ी सकारात्मक बात सामने आएगी। पहले से ही प्रोत्साहन पैकेज को आंशिक रूप से वापस लिए जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
ऐंबिट कैपिटल के सीईओ (इंस्टीटयूशनल इक्विटी) ऐन्ड्रयू हॉलैंड को पूरा यकीन है कि बाजार के लिए कोई बड़ा तोहफा नहीं मिलने वाला क्योंकि इस साल सरकार राजकोषीय घाटे से जूझ रही है। उनका कहना है, 'सरकार, वृद्धि और राजकोषीय घाटे की चुनौतियों के बीच से गुजर रही है।'
लेकिन हॉलैंड कहते हैं कि बाजार इस पर कड़ी निगाह रखेगी कि सरकार बुनियादी क्षेत्र के लिए क्या करती है। हीलियॉस कैपिटल मैनेजमेंट के फंड मैनेजर समीर अरोड़ा एक कदम आगे बढ़ते हुए कहते हैं, 'इस साल बजट का कोई खास असर शेयर बाजार पर दिखने की संभावना नहीं है।' अरोड़ा कहते हैं कि सरकार के पास बाजार के अनुकूल घोषणा करने के लिए इस साल बेहद सीमित संसाधन हैं।
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