जरूरत से ज्यादा एल्युमीनियम उत्पादन संभव | दिलीप कुमार झा / मुंबई February 12, 2010 | | | | |
भारत का एल्युमीनियम उद्योग अति उत्पादन की स्थिति में पहुंच रहा है। मांग की तुलना में आपूर्ति काफी तेजी से बढ़ रही है।
कंपनियां विस्तार परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रही हैं। उम्मीद है कि 2013 तक इनका परिचालन शुरू हो जाएगा। क्षमता विस्तार के बाद कम से कम 20 लाख टन अतिरिक्त एल्युमीनियम उत्पादन होगा जिसका देश को निर्यात करना होगा।
फिच रेटिंग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2012 के मध्य तक भारत का कुल एल्युमीनियम उत्पादन 44 लाख टन होगा। 31 मार्च 2009 को खत्म साल में देश के तीन प्रमुख एल्युमीनियम उत्पादन कंपनियों वेदांता, हिन्डाल्को और नाल्को ने मिलकर 15 लाख टन एल्युमीनियम का उत्पादन किया था।
साल दर साल आधार पर 2009 में उत्पादन में 9 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई। वेदांता की कुछ अनुषंगी इकाइयों में करीब 1.4 लाख टन उत्पादन का काम बंद कर दिया गया, लेकिन वेदांता एल्युमीनियम लिमिटेड, नाल्को और हिंडाल्को में क्षमता विस्तार के जरिए हुए उत्पादन से इस कमी की भरपाई कर ली गई।
अप्रैल-नवंबर 2009 के बीच आठ महीनों में एल्युमीनियम का कुल उत्पादन 9.8 लाख टन रहा। पिछले साल इसी अवधि की तुलना में यह 16.6 फीसदी ज्यादा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां तक मांग में बढ़त का सवाल है, तो जिन उद्योगों में भारी पैमाने पर एल्युमीनियम का इस्तेमाल होता है उनका विस्तार अर्थव्यवस्था की विकास दर पर निर्भर करता है।
देश में एल्युमीनियम की मांग बढ़ने की संभावना है, लेकिन मांग की तुलना में आपूर्ति में काफी तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है। रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि घरेलू बाजार में 2011-2013 तक अति उत्पादन की स्थिति आ जाएगी।
आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक देश में प्रति व्यक्ति एल्युमीनियम की खपत 1 किलो है। विकसित देशों में यह 30 किलो है। उद्योग एल्युमीनियम के नए उपयोग क्षेत्र तलाश रहा है ताकि भविष्य में नई मांग पैदा की जा सके। हालांकि क्षमता विस्तार की नई योजनाओं के साथ कई तरह के जोखिम भी हैं।
मसलन नई परियोजनाओं के लिए कई तरह की नियामक स्वीकृतियों की जरूरत होती है। इस वजह से इनमें देरी होने या फिर कई परियोजनाओं के टलने की भी आशंका है। वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पद्र्धा की वजह से भी नई क्षमता के कम रहने की गुंजाइश है।
देश में जो भी अतिरिक्त उत्पादन होगा उसका निर्यात किया जएगा। उत्पादन और उपभोग में ताल-मेल की वजह से फिलहाल देश में एल्युमीनियम की आपूर्ति और मांग में अच्छा संतुलन है।
निर्यात भी अभी ज्यादा नहीं है, लेकिन 2010-13 तक उत्पादन में खासी बढ़ोतरी के बाद भारी पैमाने पर निर्यात किया जाएगा। विस्तार अनुमानों को देखते हुए संभव है कि 2013 के बाद भारत सालाना 20 लाख टन एल्युमीनियम का निर्यात करने में सक्षम होगा।
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