आईटीसी की नजर टिकी स्कूल बैग पर | प्रदीप्ता मुखर्जी / January 19, 2010 | | | | |
कमाई करने के कई तरीके हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि शिक्षा और स्टेशनरी उत्पादों के कारोबार से मोटी कमाई की जा सकती है?
यही वजह है कि एफएमसीजी क्षेत्र की अग्रणी कंपनी आईटीसी अगले तीन से पांच सालों में इन उत्पादों के कारोबार के जरिये 1,000 करोड रुपये तक का राजस्व अर्जित करने की योजना बना रही है। यह सुनने में थोडा अटपटा जरूर लगता है, लेकिन अगर मात्र पांच साल पहले आईटीसी के इसी कारोबार से प्राप्त राजस्व को देखें तो यह महज 20 करोड रुपये था, जो बढ़कर अब 280 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
आईटीसी के अनुसार सबसे बड़ी चुनौती अपने ब्रांड को स्थापित करने की है, क्योंकि इस सेगमेंट में अभी भी असंगठित कंपनियां ही हैं। आईटीसी ने हाल में नोटबुक मार्केट को ब्रांडेड बाजार में बदलने के लिए पिछले सप्ताह क्रिकेटर युवराज सिंह और फिल्म अभिनेत्री सोहा अली खान को 'क्लासमेट ब्रांड' के लिए ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया है।
जानकारों के अनुसार भारतीय स्टेशनरी बाजार (नोटबुक्स, कॉपियर और प्रिंटिंग पेपर, राइटिंग इंस्ट्रूमेंट और स्कूल उत्पाद) करीब 10,000 करोड रुपये का है। इनमें से सिर्फ स्कूल नोटबुक की हिस्सेदारी 4,000 करोड रुपये की है लेकिन मात्र 25 फीसदी कारोबार ही संगठित और ब्रांडेड कंपनियां करती हैं।
इस वजह से स्टेशनरी उत्पाद का कारोबार भारत में कीमतों के लिहाज से काफी प्रतिस्पर्ध्दी है। इसी वजह से आईटीसी ने अपने उत्पादों की कीमत अपने प्रतिस्पर्ध्दियाें की तुलना में मात्र 5 फीसदी अधिक रखी है। इस बाबत दास कहते हैं 'हमने अपने ज्यामिति बॉक्स की कीमत 75 रुपये रखी है, जो इस कारोबार में अग्रणी कैमल के बराबर ही है। अपनी कलम की कीमत भी हमने इसी अनुसार तय की है।'
आईटीसी को उम्मीद है कि आगे चलकर इसके स्टेशनरी उत्पादों से प्राप्त होने वाले राजस्व का 80 फीसदी हिस्सा क्लासमेट ब्रांड से आएगा। कंपनी अपने इस ब्रांड को स्कूल संपर्क कार्यक्रम, प्वाइंट ऑफ सेल प्रमोशंस और क्लासमेट यंग ऑथर कंटेस्ट के जरिये आगे बढ़ा रही है।
क्लासमेट में करीब 300 विभिन्न प्रकार के उत्पाद हैं, जिनमें नोटबुक, ड्रॉइंग बुक, प्रैक्टिकल नोटबुक, रिमाइंडर पैड आदि प्रमुख हैं। हाल में ही राइटिंग मैटेरियल सेगमेंट में आईटसी की हिस्सेदारी करीब 12 फीसदी के करीब दर्ज की गई थी।
आईटीसी के मुख्य कार्याधिकारी चंदन दास के अनुसार राजस्व में चार गुने की बढ़ोतरी मुश्किल नहीं होगी, क्योंकि कंपनी नए ज्यामिती बॉक्स, कलम, पेंसिल और अन्य स्टेशनरी उत्पाद लॉन्च करने की योजना बना रही है। दास कहते हैं 'क्लासमेट ब्रांड की शुरुआत मुख्य रूप से छात्रों को ध्यान में रखकर शुरू की गई है, इसीलिए हमने बॉलप्वाइंट और जेल पेन को बाजार में उतारा है।
कमाई की पेंसिल
करीब 10,000 करोड़ रुपये का है स्टेशनरी कारोबार
इसमें सिर्फ स्कूल नोटबुक की हिस्सेदारी 4,000 करोड़ रुपये है
अभी भी कारोबार संगठित नहीं
|