इनफाइनाइट का आईपीओ नहीं है राइट | |
आईपीओ समीक्षा : इनफाइनाइट कंप्यूटर सॉल्यूशंस को आईपीओ की कीमतों के मोर्चे पर होंगी मुश्किलें | राम प्रसाद साहू / 01 10, 2010 | | | | |
मझोले दर्जे की आईटी सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी इनफाइनाइट कंप्यूटर सॉल्यूशंस अपने अधिग्रहण और विस्तार की योजनाओं की फंडिंग करने के लिए आईपीओ के जरिये 190 करोड़ की उगाही करने जा रही है।
इस इश्यू के जरिये व्हाइटरॉक इन्वेस्टमेंट जो सिंगापुर की कंपनी टेमासेक का एक हिस्सा है जिसके पास 10 फीसदी हिस्सेदारी है, उससे निकलने में मदद मिलेगी। 190 करोड़ में से 95 करोड़ रुपये कंपनी की खर्च की योजनाओं के लिए मौजूद रहेगा।
जबकि बाकी पूंजी निवेशकों मसलन व्हाइटरॉक और प्रवर्तकों के पास जाएगा। अपनी इक्विटी के कुछ हिस्सों की बिक्री से प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 72 फीसदी से कम होकर 58 फीसदी हो जाएगा।
कारोबारी मॉडल
इनफाइनाइट के तीन तरह की सेवाएं मुहैया कराता है मसलन एप्लीकेशन मैनेजमेंट या आईटी सेवा, इन्फ्र ास्ट्रक्चर मैनेजमेंट, और इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिये हल मुहैया कराना। कंपनी के पास आईबीएम, फुजीत्सू, जीई और वेरीजॉन जैसे ग्राहक हैं, और इसका जोर टेलीकॉम, मीडिया, हेल्थकेयर और यूटिलिटी सेक्टर की बड़ी कंपनियों से बिजनेस पाना है।
इनफाइनाइट को शुरुआत में कम मार्जिन के साथ काम करना पड़ा है। हालांकि इसे अनुबंधों के आकार, बड़ी परियोजनाओं के लिए काम करने का अनुभव और स्थिर कमाई का फायदा तो मिला ही है। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि कंपनी कम ग्राहकों के साथ बड़ा जोखिम ले रही है और अगर ग्राहक या छोटी कंपनियों का रुझान दूसरी ओर होता है तो इससे मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कंपनी को कुछ भौगोलिक जोखिम का सामना भी करना पड़ता है क्योंकि इसका 90 फीसदी कारोबार अमेरिका से होता है। हालांकि लंबी अवधि के नजरिये से सॉफ्टवेयर सेवाओं का कारोबार मजबूत है।
विस्तार की रणनीति
अपने मौजूदा कारोबार का विस्तार करने के अलावा इनफाइनाइट कंपनियों का अधिग्रहण करने या फिर अपने ग्राहकों से बौद्धिक संपदा पर आधारित उत्पादों (आईपी)के लिए गुंजाइश बनाना चाहती है जिसका आगे विकास किया जा सकता है।
आईपीओ से मिलने वाली 38 करोड़ रुपये का इस्तेमाल अधिग्रहण की फंडिंग के लिए होगा। कंपनी आईपी प्रोडक्ट को हासिल करने में दिलचस्पी ले रही है और साथ ही यह कमाई की शेयरिंग के मॉडल पर काम करना चाहती है जिससे इसे बेहतर मार्जिन मिलेगा। फिलहाल इसके जरिये केवल 5 फीसदी कमाई होती है।
कंपनी ने वर्ष 2006 में अमेरिका की कंपनी कॉमनेट का अधिग्रहण किया था ताकि यह अपने ऑफर का विस्तार करे। साथ ही केवल टेलीकॉम सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी मसलन वेरीजॉन, तक ही सीमित करने के बजाय यह पूरे टेलीकॉम वैल्यू चेन के लिए काम करे। हालांकि यह अपना पूरा जोर टेलीकॉम सेक्टर पर देना चाहती है।
आंकड़े में सुधार
वर्ष 2005-06 से ही कंपनी की बिक्री, परिचालन लाभ और शुद्ध मुनाफे में तेजी से वृद्धि हुई ही थी लेकिन हाल के दिनों में भी इसमें बढ़त हुई है।
वर्ष 2008-09 में बिक्री में सालाना 45 फीसदी की उछाल आई और यह 496 करोड़ रुपये हो गया वहीं परिचालन लाभ मार्जिन में 5.4 फीसदी की तेजी आई और यह 13.2 फीसदी हो गया। कंपनी का कहना है कि परिचालन लाभ मार्जिन में उछाल की वजह सर्विस डिलिवरी, सेगमेंट और रेवेन्यू मॉडल में बदलाव है।
मूल्यांकन
वार्षिक छमाही के आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2009-10 में कंपनी के राजस्व में सालाना करीब 28 फीसदी की बढ़ोतरी होगी और यह 636 करोड़ रुपये हो जाएगा और शुद्ध लाभ भी 65 फीसदी की तेजी के साथ 74 करोड़ रुपये हो जाएगा।
जब दूसरी मझोली कंपनियों से तुलना की जाती है तो इस वक्त ऐसा कोई दूसरा खिलाड़ी नजर नहीं आता जिसके पास टेलीकॉम सॉफ्टवेयर स्पेस से कमाई होती हो।
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