प्रमुख हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में शुमार एचडीएफसी को एक मात्र निवेश के लायक समझा जाए तो यह संभवत: भूल करने जैसा होगा क्योंकि अब एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी भी एक मिड-कैप काउंटर के रूप में तब्दील होने जा रहा है।
ऐसा होना लाजिमी भी था क्योंकि जनवरी में बाजार में मंदी का दौर था। दिसंबर 2007 में 203 रुपये और इस साल जनवरी में 285 रुपये होने के बाद एक बार फिर हाउसिंग फाइनेंस के शेयर 359 रुपये हो चुके हैं। खास बात यह है कि भाव अभी और आसमान छूने को बेताब हैं।
महंगाई और ऊंचे ब्याज दर के चलते मौजूदा भाव अभी और बढ़ेंगे। लिहाजा, यह खतरा मोल लेने का सबसे माकूल वक्त है। एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस को मझोले से बड़े आकार में तब्दील किया जा सकता है। यह नरम ब्याज दर पर लोन देने के लिए विख्यात है।
कंपनी की पहल केचलते इसके विकास की पूरी संभावना है। गौरतलब है कि कंपनी के द्वारा बुजुर्गों के लिए बनाए जानेवाले घर, फाइनेंशियल उत्पादों का वितरण समेत कई और ऐसे कदम रहे हैं जिनसे कंपनी के प्रति लोगों में अगाध विश्वास है।
शार्ट-टर्म: सचेत आशावादिता
मार्च 2008 में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2008 में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। जहां इसका नेट इनकम 38 फीसदी बढ़ते हुए 615 करोड़ रुपये हो गया है वहीं ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। लिहाजा, कंपनी का शुध्द लाभ 39 फीसदी उछल कर 387 करोड़ रुपये का हो गया है। कर दोगुना होने के बावजूद भी यह प्रदर्शन है।
कंपनी के डिस्बर्समेंट और लोन में क्रमश: 38 और 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। नेट मार्जिन इंट्रेस्ट में 40 बेसिस प्वांइट्स का इजाफा जबकि नॉन-पर्फामिंग लोन में 87 बेसिस प्वांट्स की कमी देखी गई । नेट एपपीए भी गिरकर 1 फीसदी हो चुका है। मौजूदा साल में कंपनी को विश्वास है कि उनका लोन ग्रोथ 25 फीसदी पर रहेगा। उसे लगता है कि उपयोर्गकत्ताओं की ओर से अंडरलाइंग डिमांड ज्यादा है।
हालांकि इसके भी सूक्ष्म आसार हैं कि अगर बयाज दर में इजाफा जारी रहता है तो कंपनी की इस मांग में थोड़ी कमी हो सकती है। दूसरी खास बात जो गौर करने लायक है कि लगातार तीन सीआरआर इजाफे से कंपनी पर क्या प्रभाव पड़ेगा, का पता मार्जिन से चलेगा। कंपनी के लिए सकारात्मक पहलू यह है कि सीआरआर इजाफे के बावजूद कंपनी ने उपभोक्ताओं के इंक्रीमेंटल कॉस्ट पर काबू तो पाया ही, निरंतर विकास की रफ्तार में कोई कमी नही आने दी है।
लांग टर्म : इसमें भी है दम
अपने ब्रांड वैल्यू और कस्टमर बेस को मजबूत करने की कवायद में इसने दो पूर्णरूप से अपनी स्वामित्व वाली सब्सिडियरीज खोलने की योजना बनाई है। जिनमें पहले के तहत कंपनी फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स जैसे इंश्योरेंस पॉलिसी, क्रेडिट कॉर्ड और म्युचुअल फंडों की बिक्री करने जैसा होगा। जबकि दूसरे के तहत रियल स्टेट में निवेश करने की बात होगी।
हालांकि दोनों प्लान अभी प्लानिंग स्टेज मे हैं और लंबी अवधि में ही अपनी भूमिका निभाने में सक्षम साबित होने चाहिए। मसलन, एलआईसी केयर होम्स, जो वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर बनाती है , बेंगलुरु में काम पूरा कर चुकी है जबकि कोचीन, जयपुर और चंडीगढ़ में काम को अंजाम देना अभी बाकी है।
इसके इतर, हाउसिंग फाइनेंस भी कंपनी के दूसरी सब्सिडियरी की सूची में दर्ज हो सकती है, लेकिन यह फिलहाल दूर की कौड़ी लग रहा है। लिहाजा, कंपनी के ये तीनों सब्सिडियरी अभी प्रारंभिक अवस्था में है लेकिन लांग-टर्म के लिहाज से इससे इसके वित्तीय प्रदर्शन में मजबूती तो आएगी ही, इसके शेयर भाव में भी इजाफा होने के संकेत हैं।
पूरी तरह से तैयार
हाउसिंग फाइनेंस इंडस्ट्री के विचाराधीन लक्ष्य में मजबूती तो बरकरार रहेगी ही, इसकी विशाल पहुंच, जबर्दस्त ब्रांड वैल्यू, और खासी मांग होने के चलते ऐसी उम्मीद है कि इसमें जबर्दस्त उछाल होगी। गौरतलब है कि कंपनी का मेट्रो शहरों से लेकर उभरते जगहों में भी अच्छी पहुंच है। देशभर में 115 दफ्तर और 450 सेंटरों से यह वेतनधारकों को भी लोन उपलब्ध करवाता है।
हालांकि लघु अवधि के स्तर पर देखा जाए तो ऊंचे-ब्याज दरों से लोन ग्रोथ में कमी दर्ज की जा सकती है लेकिन यह अल्पकालिक समय के लिए होगा। लिहाजा, मौजूदा दौर में धीरज रखने वाले निवेशक ही निवेश करेंगे। ऐसे निवेशक जोखिम लेकर स्टॉक इकट्ठा कर सकेंगे। जबकि दूसरे निवेशक तभी आएंगे जब ब्याज दर कम होगा।