जायडस कैडिला का एच1एन1 वैक्सीन अप्रैल में | भारत के दवा महानियंत्रक से मिली कंपनी को वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी | | बीएस संवाददाता / अहमदाबाद January 05, 2010 | | | | |
देश की प्रमुख दवा निर्माता कंपनी जायडस कैडिला को भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) की ओर से स्वाइन फ्लू (एच1एन1) की वैक्सीन के क्लिनिकल परीक्षण की मंजूरी मिल गई है।
कंपनी का कहना है कि वह अप्रैल तक देश में इस वैक्सीन की 60 लाख डोज उपलब्ध कराने में सक्षम होगी। उल्लेखनीय है कि जायडस पहली भारतीय दवा कंपनी है, जिसे इस वैक्सीन के लिए बहुकेंद्रीय क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी मिली है।
अहमदाबाद स्थित यह दवा कंपनी एच1एन1 के लिए वैक्सीन विकसित करने पर पहले ही करीब 80 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है। जायडस कैडिला के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पंकज आर. पटेल ने बताया कि कंपनी इस वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल और मोरैया संयंत्र की क्षमता बढ़ाने पर करीब 50 करोड़ रुपये का और निवेश करेगी।
दरअसल, इस वैक्सीन का उत्पादन इसी संयंत्र में करने की योजना है। उन्होंने बताया कि निवेश के लिए रकम आंतरिक स्रोतों से जुटाई जाएगी। मोरैया संयंत्र का विस्तार भी अप्रैल तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में एच 1 एन 1 वैक्सीन की मांग करीब 5 से 6 करोड़ खुराक की है।
उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में कंपनी भारतीय बाजार पर ही ध्यान केंद्रित करेगी। अमेरिका और यूरोपीय देशों में वैक्सीन का निर्यात दूसरे चरण के तहत हो सकता है, जो सितंबर 2010 में शुरू होगा। हालांकि इसके लिए अभी संबंधित देशों से मंजूरी मिलनी बाकी है। उन्होंने बताया कि अभी मंजूरी के लिए किसी अन्य देश में आवेदन नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि एच1एन1 वायरस का संक्रमण 2009 में दुनियाभर में तेजी से फैला और करीब 12,000 लोगों की इसके चलते मौत हो गई। भारत में भी इसके 21,000 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। मौजूदा समय में एच1एन1 स्वाइन फ्लू वैक्सीन का बाजार करीब 67.6 करोड़ डॉलर का है।
वर्ष 2011 तक इसका बाजार 7 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। जायडस कैडिला इस वैक्सीन को अहमदाबाद स्थित अपने केंद्र में विकसित कर रही है।
रैनबैक्सी ने पेश किया नया उत्पाद
रैनबैक्सी ने अपनी पेटेंटेड स्किन केयर दवा लुलिफिन को बाजार में पेश किया है। करीब 2,000 करोड़ रुपये के घरेलू बाजार में कंपनी ने इस दवा की लाइसेंस धारक जापानी कंपनी सुमितो फार्मास्युटिकल्स इंटरनैशनल कॉर्पोरेशन के साथ एक्सक्लूसिव करार के बाद पेश किया है।
इस दवा को खोजने और विकसित करने के साथ ही 2016 तक भारत में बेचने के अधिकार लुलिफिन की पेटेंट धारक निहोन नोहयाकु कंपनी लिमिटेड के पास थे। कंपनी ने जापान के बाहर कुछ बाजारों में लुलिफिन को बेचने का अधिकार सुमितो को दिया है।
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