खर्च कम करने के प्रयासों में जुटी बीमा कंपनियां | सुशील मिश्र / मुंबई December 30, 2009 | | | | |
जब आमदनी बढ़ाने की बात हो तो इसमें भला बीमा कंपनियां कैसे पीछे रह सकती हैं, इसी वजह से बीमा कंपनियां अब खर्चों में कटौती करने की योजना बना रही हैं।
देश की अधिकांश बीमा कंपनियां इस समय घाटे का सामना कर रही है। घाटे में चल रही कंपनियों को अपने नुकसान को मुनाफे की शक्ल देने के लिए उचित तरीका अपने खर्चों में कटौती करना लग रहा है।
बीमा कंपनियां बढ़ते परिचालन खर्च पर लगाम लगाने की कोशिशों में जुट गई हैं। बीमा क्षेत्र के महारथियों का मानना है कि अगले एक दो साल के अंदर अधिकांश बीमा कंपनियां अपने परिचालन खर्च में तकरीबन 50 फीसदी तक की कमी करने में सफल हो सकती हैं।
पिछले कुछ सालों में देश में कई नई कंपनियां बीमा क्षेत्र में अपनी किस्मत अजमाने के लिए उतरी हैं। बाजार में अपनी पैठ बनाने के लिए इन कंपनियों ने जो भारी भरकम खर्च किया गया वही उनके घाटे का कारण भी माना जा रहा है।
बीमा क्षेत्र में पहले से जमे जमाए खिलाड़ियों का मानना है कि शुरुआती दौर में बाजार में अपनी पहचान बनाने के लिए खर्च करना ही पड़ता है जिसे धीरे-धीरे घटाना होता है। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रबंध निदेशक डी के मेहरोत्रा ने कहा कि जब नई कंपनी आती है तो उसका परिचालन खर्च बहुत यादा होता है। लेकिन पांच-सात सालों में जब वह विस्तार कर लेती है तब उसका परिचालन खर्च घट जाता है।
उनके अनुसार एलआईसी का परिचालन खर्च इस समय 10.5 फीसदी है और यह औसत के लिहाज से ठीक है। फिर भी इसमें थोड़ी कमी करने की कोशिश की जा रही है। दूसरी तरफ रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस जैसी कंपनियां अपने भारी भरकम परिचालन खर्च का बोझ अब ज्यादा दिनों तक उठाने के मूड में नहीं हैं कंपनी के अध्यक्ष मलय घोष ने कहा, 'हमारी कंपनी का परिचालन खर्च इस समय 34 फीसदी है जिसे 2012 तक कम करके 14 फीसदी पर लाना है।'
घोष स्वीकार करते हैं कि उनका इस समय मुख्य उद्देश्य खर्चों में कटौती करना हैं। बतौर घोष हमारा मुख्य फोकस अब परिचालन खर्च कम करने पर ही है। हमने पहले ही अपना अधिग्रहण और पॉलिसी इश्यूएंस खर्च घटा दिए हैं। आज हमारा 85 फीसदी नया व्यवसाय पूरी तरह से स्वचालित है। जबकि हमारा नवीनीकरण व्यवसाय चालू वित्त वर्ष की प्रथम छमाही में 60 फीसदी की दर से बढ़ा है।
वित्त वर्ष 2009-10 की पहली छमाही में बीमा कंपनियों अपने खर्चों पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। कंपनियों द्वारा उठाए गए सख्त कदमों का ही नतीजा हैं कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, बजाज आलियांज, एचडीएफसी स्टैंडर्ड व कोटक महिंद्रा ने अपने खर्चों में कमी करने में काफी हद तक सफल भी रहे हैं। जबकि नए व्यवसाय से जुड़े खर्चों को रोकना संभव नहीं होता है।
दूसरी ओर एसबीआई ने कॉस्ट लीडर की अपनी स्थिति बरकरार रखी है। स्टार यूनियन दा-ईची के मुख्य कार्याधिकारी के सहाय ने कहा, 'हमारा परिचालन खर्च इस समय 64 फीसदी है और मार्च तक इसे कम करने की योजना है, पर जब तक विस्तार नहीं होता है तब तक बहुत यादा कम नहीं होगी है।'
इस साल आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने कुल खर्च 23 फीसदी किया जो 23 अरब रुपये रहा है। परिचालन खर्च में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में एसबीआई 8 फीसदी के साथ सबसे कम खर्चीला साबित हुआ है जबकि बजाज आलियांज 18 फीसदी, एचडीएफसी 25 फीसदी, कोटक 24 फीसदी और रिलायंस इंश्योरेंस 34 फीसदी खर्च किया है।
इसी तरह कमीशन के खर्च के अनुपात में एसबीआई 7.5 फीसदी, बजाज आलियांज 9 फीसदी, एचडीएफसी 9 फीसदी, बिड़ला सन लाइफ 11 फीसदी और कोटक ने 8 फीसदी खर्च किया है। गौरतलब है कि इस समय देश में 23 जीवन बीमा कंपनियों में से 3-4 बीमा कंपनियां ही लाभ में चल रही हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक जीवन बीमा कंपनियों के कुल खर्च का 85 फीसदी खर्च केवल ग्राहकों को जोड़ने में चला जाता है। जबकि दूसरा सबसे बड़ा खर्च कर्मचारियों के प्रशिक्षण, शाखाओं के संसाधन, मार्केटिंग पर होता है। एडलवाइस की रिपोर्ट के मुताबिक खर्च प्रबंधन के बारे में जीवन बीमा कंपनियों में जागरुकता आई है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर के कम उपयोग की वजह से उनके व्यवसाय की जो मात्रा बढ़नी चाहिए वह नहीं बढ़ती है। इस क्षमता में नए व्यवसाय की मात्रा को पैर जमाने में थोडा समय लगेगा। हालांकि नए व्यवसाय में तेजी से बढ़ती प्रतिस्पध्र्दा व बीमा जागरूकता में वृध्दि की वजह से परिचालन के कुछ खर्चों में कमी आने की संभावना है।
बीमा क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में जो कंपनियां इस क्षेत्र में आई उन्होने अपने कंपनी के प्रचार प्रसार और बाजार में कब्जे के लिए दिल खोलकर खर्च किया जो आज उनके लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। घाटे में चल रही कंपनियों को बाजार में बने रहने के लिए जरुरी है कि वह अपने खर्चो में कटौती करें।
परिचालन खर्च का लेखा-जोखा
बीमा कंपनियां बढ़ते परिचालन खर्च की लागत घटाने में जुटीं
रिलायंस लाइफ 2010 तक परिचालन खर्च 34 फीसदी से घटा कर 14 फीसदी करने में लगी है
एसबीआई लाइफ का परिचालन खर्च पहली छमाही में 6 फीसदी रहा जो उद्योग में सबसे कम है
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