गंदे पानी से चलेंगी बिजली परियोजनाएं | संजय जोग / मुंबई December 29, 2009 | | | | |
महाराष्ट्र सरकार ने बिजली परियोजनाओं को विकसित करने में शोधित गंदे पानी का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। सरकार ने यह जल संकट की समस्या को देखते हुए किया है।
सरकारी कंपनी महाजेनको और निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा लगाई जा रही बिजली परियोजनाओं में शोधित गंदे पानी का इस्तेमाल होगा। बिजली परियोजनाएं लगाने वाली कंपनियों को नगर निकायों से गंदे पानी के शोधन के लिए समझौता करने को कहा गया है। शोधित गंदे पानी का इस्तेमाल बिजली परियोजनाओं में कूलिंग और राख के निपटान के लिए किया जा सकेगा।
राज्य के ऊर्जा मंत्री अजित पवार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को कहा, 'ब्वॉयलर को चलाने, कूलिंग और राख के निपटान में भारी मात्रा में पानी की जरूरत होती है। जल की कमी है इसलिए यह फैसला लिया गया है।' उन्होंने कहा, 'महाजेनको 5,000 मेगावाट उत्पादन क्षमता की बिजली परियोजनाएं लगाने के काम में जुटी हुई है।
वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियां कुल मिलाकर 10,000 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली परियोजनाएं लगाने का काम कर रही हैं। 400 मेगावाट क्षमता वाले बिजली संयंत्र के लिए औसतन 400 एमएलडी पानी की जरूरत होती है।' महाजेनको नागपुर नगर निगम के साथ मिलकर कोराड़ी की 1,980 मेगावाट की बिजली परियोजना में शोधित गंदे पानी का इस्तेमाल कर रही है।
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