सार्वजनिक क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अल्पावधि में प्रधान उदारी दर (पीएलआर) बढ़ाने की संभावनाओं से इनकार किया है।
चौथी तिमाही के नतीजों की घोषणा के बाद भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक ओ पी भट्ट ने कहा कि पीएलआर बढ़ने नहीं जा रहा है। बाजार में पर्याप्त तरलता है और ऋण वृध्दि की गति धीमी है। पीएलआर बढ़ाये जाने की शायद ही कोई संभावना है।
जीवन बीमा व्यवसाय के लिए अलग कंपनी बनाए जाने के बारे में भट्ट ने कहा, 'अगले दो वर्षों तक एसबीआई लाइफ में पैसे लगाने के लिए हमारे पास पर्याप्त पूंजी है। अगर होल्डिंग कंपनी के नियम सामने नहीं आते हैं तो हम इसे सूचीबध्द करेंगे।' उन्होंने कहा कि इस वर्ष एसबीआई लाइफ को सूचीबध्द करने की कोई योजना नहीं है।
एसबीआई की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) इस वर्ष बढ़ कर 1.78 प्रतिशत हो गई जो पिछले वर्ष 1.56 करोड़ रुपये थी। एनपीए में बढ़ोतरी की वजह कृषि ऋण की माफी और उच्च मासिक किश्तों के कारण रिटेल एनपीए में हुई वृध्दि है।
वर्तमान में एसबीआई के कृषि क्षेत्र का एनपीए 700 करोड़ रुपये का है। एसबीआई और स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र के विलय के बारे में उन्होंने कहा, ' यह मसला सरकार के हाथों में है। सरकार के निर्णय के बाद हम अन्य सहयोगी बैंकों के साथ विलय का रोड मैप तैयार करेंगे।'
इस वर्ष एसबीआई 2,000 शाखाएं खोलेगा जिसमें 1,000 ग्रामीण क्षेत्रों में खोले जाएंगे। अगले दो वर्षों में बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में 10,000 शाखाएं खोलने की योजना बना रही है। इस वित्त वर्ष में बैंक अग्रिम में 25 प्रतिशत की वृध्दि का अनुमान कर रही है।