एनर्जी ड्रिंक्स कारोबार में बढ़ी चुस्ती | विवेट सुजन पिंटो / मुंबई December 23, 2009 | | | | |
भारत में एनर्जी ड्रिंक्स का बाजार फिलहाल भले ही छोटा दिख रहा हो, लेकिन यह तेजी से विकास कर रहा है।
अभी इस क्षेत्र का कारोबार करीब 100 करोड़ रुपये का ही है, लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह क्षेत्र 25 फीसदी सीएजीआर की गति से बढ़ रहा है।
टेक्नोपैक इंडिया के वरिष्ठ विश्लेषक पुर्णेंद्रु कुमार का कहना है कि इस क्षेत्र में विकास की पूरी संभावना है। यही वजह है कि हाल के वर्षों में बहुराष्ट्रीय कंपनियां-कोका कोला और पेप्सीको के साथ-साथ स्थानीय कंपनी गोल्डविन (क्लाउड 9 की निर्माता) इस सेगमेंट में उतर रही हैं।
कोका कोला इस सेगमेंट में 1990 के दशक में पहली बार शॉक नाम से एनर्जी ड्रिंक लेकर बाजार में आई थी। और अब बर्न नाम से नया ड्रिंक पेश कर इस सेगमेंट में अपनी पकड़ मजबूत करने की जुगत में लगी है। इस क्षेत्र में उसे अन्य ब्रांड भी टक्कर दे रहे हैं, इसमें रेड बुल, क्लाउड 9, सोबे (पेप्सीको का उत्पाद) और पावरहाउस हैं।
उद्योग के जानकारों का कहना है कि इस क्षेत्र में कई नई कंपनियां आ रही हैं। विविध कारोबार से जुड़ा जेएमजे ग्रुप भी इस क्षेत्र में हाथ आजमाने की तैयारी में है। जेऐजे ग्र्रुप अपने ड्रिंक्स को प्रमोट करने के लिए गोवा म्यूजिक फेस्टिवल (27 से 20 दिसंबर को होने वाले कार्यक्रम) सनबर्न का सहारा लेने की तैयारी कर चुका है।
इससे स्पष्ट है कि एनर्जी ड्रिंक्स के छोटे बाजार में अपनी पैठ बनाने के लिए बड़ी-छोटी कंपनियों में होड़ लगी है। गोल्डविन हेल्थकेयर के वरिष्ठ अध्यक्ष (फील्ड एवं परिचालन) प्रकाश मिश्रा का कहना है कि यह सेगमेंट तेजी से विकास कर रहा है। उनका कहना है कि युवा पीढ़ी कुछ अलग चाहती है।
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