सूख जाएगा मुंबई का हलक! | संजय जोग / मुंबई December 21, 2009 | | | | |
पानी के लिए मुंबईकरों की मुसीबत और ज्यादा बढ़ने वाली हैं।
शहर के लिए फिलहाल केवल 200 दिनों का पानी का भंडार जमा है। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) पहले ही पानी की आपूर्ति में 15 फीसदी की कटौती कर चुका है। हालात और बदतर हुए तो बीएमसी इसे बढ़ाकर 30 फीसदी कर सकती है।
बीएमसी हफ्ते में एक दिन मुंबईकरों को पानी से महरूम रखने के बारे में भी सोच रहा है। राजनीतिक आम सहमति से ऐसा हो सकता है। दरअसल आंकड़े बिगड़े हालात का दुखड़ा खुद ही रो रहे हैं।
इस समय बीएमसी मुंबई में 232 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति कर रहा है जबकि सामान्य वर्षा होने पर यही आपूर्ति 345 करोड़ लीटर होती है। वहीं शहर में रहने वाले 1.25 करोड़ लोगों के लिए पानी की कुल मांग 455 करोड़ लीटर है।
बस कागज़ी काम
समस्या इतनी विकराल हो चुकी है लेकिन इससे निजात दिलाने के लिए कदम उठते नहीं दिख रहे हैं। मुंबई में समंदर के पानी को मीठा बनाने की महत्वाकांक्षी योजना के चर्चे हैं और बाद में इस फॉर्मूले को सूबे के दूसरे हिस्सों में भी आजमाने की तैयारी है। अभी तक सरकार को 18 प्रस्ताव मिल चुके हैं।
मगर महंगा होने की वजह से इस योजना पर सरकार और बीएमसी आगे नहीं बढ़े हैं। सरकारी अनुमान के मुताबिक एक हजार किलोलीटर समंदर के पानी को मीठा बनाने के लिए 35 से 40 रुपये का खर्च आ सकता है।
पानी की मौजूदा आपूर्ति पर बढ़ते दबाव के मद्देनजर सरकार और बीएसमसी महंगा होने के बावजूद इसे मजबूरी मान कर चल रहे हैं। इस मीठे पानी को जल आपूर्ति पाइपलाइनों से जोड़ना भी काफी महंगा पड़ने वाला है। लगभग 125 करोड़ रुपये की इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना से भी मंजूरी लेनी होगी।
बचत से बनेगी बात
वर्षा जल संरक्षण के मामले में शहर का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। शहर में बन रही नई इमारतों में बारिश के पानी को रोकने के लिए इंतजाम करना बेहद जरूरी है लेकिन इस पर नजर रखने के लिए कोई एजेंसी नहीं है। जबकि समंदर से खतरे की वजह से शहर के कुछ इलाकों में वर्षा जल संचयन मुमकिन नहीं है।
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