राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में एक से दूसरे शहर के लिए परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की सरकारों के साथ मिलकर एक शेल कंपनी गठित करेगी। इस सिलसिले में जल्द ही एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है। यह कंपनी दिल्ली और एनसीआर के शहरों के बीच तेज रफ्तार से चलने वाली विशेष रेल संपर्क विकसित करेगी। मुंबई की अर्द्धशहरी रेल प्रणाली की तर्ज पर ही इस रेल व्यवस्था का विकास किया जाएगा जिस पर तकरीबन 5,000 करोड़ रुपये का खर्च आने की उम्मीद है। इस परियोजना के तहत डेडिकेटेड रेल ट्रैकों का निर्माण किया जाना है। इसके अलावा कंपनी आस पास की जमीन पर ऐसी संपत्तियों का विकास भी करेगी जिससे इस परियोजना की लागत निकल सके। साथ ही रेल व्यवस्था के साथ परिवहन के दूसरे माध्यमों को जोड़ने के लिए भी बुनियादी ढांचों का विकास किया जाएगा। इस परियोजना के तहत कंपनी दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ, दिल्ली-गुड़गांव-रेवाड़ी-अलवर और दिल्ली-सोनीपत-पानीपत रेल लाइनों का विकास करेगी। जहां दिल्ली को गुड़गांव, नोएडा और गाजियाबाद से मेट्रो के जरिए जोड़ा जाएगा वहीं पानीपत, सोनीपत, अलवर और मेरठ को रेलवे प्रणाली के जरिए दिल्ली से जोड़ा जाएगा। इन रेल लाइनों को शहर में पहले से ही मौजूद मेट्रो नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इस प्रस्तावित रेल प्रणाली के लिए शहरी विकास सचिव एम रामचंद्रन के तहत एक कार्यबल और सड़क परिवहन और राजमार्ग एवं रेलवे के मंत्रियों की ओर से प्रतिनिधियों समेत चारों राज्यों की सरकारों की ओर से एक रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है। एनसीआर योजना बोर्ड इस रिपोर्ट पर काम कर रहा है। रामचंद्रन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'पूंजी निवेश के लिए सभी सरकारों से मंजूरी ली जाएगी ताकि कंपनी का पंजीकरण किया जा सके। एक बार जब कंपनी का गठन हो जाता है तो परियोजना पर आने वाले वास्तविक खर्च का पता लगाने के लिए वृहत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी।' रामचंद्रन ने बताया कि चूंकि दिल्ली को दूर के शहरों से मेट्रो प्रणाली के जरिए जोड़ पाना अधिक खर्चीला होगा इस वजह से मौजूदा रेल लाइनों के समानांतर समर्पित रेल लाइनों का विकास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन रेल लाइनों से दूर-दराज की और एक शहर से दूसरे शहर के लिए चलने वाली ट्रेनों को फायदा मिलेगा। उन्होंने बताया कि ये समर्पित रेल लाइनें होंगी और रेलवे इस बात पर फैसला करेगा कि दिल्ली और एनसीआर की शहरों के बीच चलने वाली डीएमयू और ईएमयू को मौजूदा लाइनों पर चलाया जाएगा या नई बनने वाली लाइनों पर। रामचंद्रन ने बताया कि वित्त, मौजूदा लाइनों के समानांतर जमीन की उपलब्धता और मेट्रो नेटवर्क के साथ इन रेल लाइनों के जुड़ाव जैसे मसलों की जांच की जानी है। क्या-क्या है गरीबों के पास (कितने प्रतिशत घरों में हैं ऐसे उत्पाद) रूट लंबाई (किमी) लागत* (करोड़ रु) दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ 67.8 1,000 दिल्ली-गुड़गांव-रेवाड़ी-अलवर 158 2,700 दिल्ली-सोनीपत-पानीपत 89 1,300 कुल 314.8 5,000 * रेक को छोड़कर
