मनोरंजन कर चुराने वालों की खैर नहीं | यूपी में केबल ऑपरेटरों के लिए नई नियमावली बनाने पर विचार | | सिध्दार्थ कलहंस / लखनऊ December 19, 2009 | | | | |
लाख कोशिशों के बाद भी केबल ऑपरेटरों से कनेक्शनों की सही तादाद जानने में नाकाम रही उत्तर प्रदेश सरकार ने मनोरंजन कर अधिकारियों को अपने अधिकार से इतर जिलों में जाकर कार्रवाई करने व कनेक्शनों की जांच का जिम्मा सौंपा है।
इस जांच के सिलसिले में खुद मनोरंजन कर आयुक्त भी औचक निरीक्षण पर निकलेंगे। मनोरंजन कर से सरकार का खजाना भरने की कवायद में जुटे विभागीय अधिकारियों ने एक बार फिर से सिनेमा और केबल पर विज्ञापन के लिए नई नियमावली बनाने का फैसला किया है।
नई नियमावली बनाने के लिए सिनेमाघर और केबल ऑपरेटरों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उनके सुझाव मांगे गए हैं। साथ ही सरकार इस बार वीडियो नियमावली बनाने पर विचार कर रही है। केबल ऑपरेटरों के लिए बनने वाली नई नियमावली में केबल टीवी पर चलने वाले स्थानीय विज्ञापनों पर कर वसूलने का प्रावधान किया जाएगा।
फिलहाल सरकार ने केबल टीवी पर विज्ञापनों पर 30 फीसदी की दर से कर तो लगा रखा है, पर आज तक इस मद में एक भी रुपये की वसूली नहीं हो सकी है। इसके पीछे एक बड़ा कारण इस संदर्भ में कोई स्पष्ट नियम व निर्देश का न होना है।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने इस वित्त वर्ष में मनोरंजन कर से 183.17 करोड़ रुपये राजस्व का लक्ष्य रखा है। नवंबर तक वित्त वर्ष के आठ महीने में 108.62 करोड़ रुपये ही अर्जित हुए हैं जो कि मौजूदा लक्ष्य का करीब 60 फीसदी ही है। इस समय मनोरंजन कर विभाग के सामने सबसे पहला काम किसी भी तरह से राजस्व के लक्ष्य को पाना है।
मनोरंजन कर आयुक्त मुक्तेश मोहन मिश्रा का कहना है कि मनोरंजन कर में किसी भी तरह की बढ़ोतरी नहीं की जाएगी बल्कि मनोरंजन कर की चोरी को रोक कर राजस्व बढ़ाया जाएगा। गौरतलब है कि इस समय उत्तर प्रदेश में केबल ऑपरेटर ग्राहकों से 150 रुपये से लेकर 250 रुपये तक किराया ले रहे हैं।
सबसे ज्यादा ग्राहक 200 रुपये प्रति माह किराए के स्लैब में आते हैं जिसके लिए ऑपरेटर सरकार को 30 रुपये प्रति कनेक्शन मनोरंजन कर अदा करते हैं। केबल ऑपरेटरों का कहना है उनसे पहले की दर पर ही कर लिया जाए और साथ ही सरकार को पे चैनलों को समय-समय पर अपने पैकेज की दरों को संशोधित करने की आदत से रोकने के लिए कानून भी बनाना चाहिए।
दूसरी ओर मनोरंजन कर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लगातार प्रयास के बाद भी अभी तक पूरे राज्य में केबल कनेक्शनों की सही तादाद पता नहीं चल पाई है और ऑपरेटर अपने कनेक्शनों की गिनती कम करके बता रहे हैं।
हाल ही में माया सरकार ने कैबिनेट में एक प्रस्ताव पास कर न केवल केबल पर लागू मनोरंजन कर की दरें बढ़ा दी हैं बल्कि मनोरंजन कर निरीक्षकों को निरीक्षण के लिए और ज्यादा अधिकार भी दे दिए हैं।
कर से भरेगा खजाना
केबल कनेक्शनों की सही संख्या का पता लगाएगी सरकार
मनोरजंन कर आयुक्त करेंगे औचक निरीक्षण
मगर केबल ऑपरेटरों पर नहीं बढ़ेगा कर का बोझ
मनोरंजन कर के जरिए रखा गया राजस्व बढ़ोतरी का लक्ष्य
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