भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जताई गई चिंताओं के बावजूद बैंकों का म्युचुअल फंडों में निवेश बढ़ाना जारी है। 4 दिसंबर 2009 को समाप्त हुए पखवाड़े में बैंकों ने म्युचुअल फंडों में अपना निवेश 4,580 करोड़ रुपये बढ़ा कर 1,69,236 करोड रुपये कर दिया है। पिछले पखवाड़े के दौरान म्युचुअल फंड योजनाओं में बैंकों ने 4,273 करोड़ रुपये का निवेश किया था। समय के साथ ही म्युचुअल फंडों में बैंकों का निवेश बढ़ा है। एक साल पहले की बात करें तो म्युचुअल फंडों में बैंकों का निवेश 34,756 करोड़ रुपये था। बैंकरों ने कहा कि ऋण की मांग कमजोर पड़ना भी इसकी एक वजह है। यद्यपि, पिछले महीने से सुधार के संकेत दिख रहे हैं। 4 दिसंबर 2009 को समाप्त हुए पखवाड़े में बैंकों का ऋण 2,930 करोड़ रुपये बढ़ कर 29,19,700 करोड़ रुपये हो गया जबकि जमाओं में लगभग 17,740 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। इस पखवाड़े के दौरान सरकारी प्रतिभूतियों में बैंकों का निवेश 24,100 करोड़ रुपये बढ़ा। बैंकों के लिक्विड फंडों में अधिक निवेश से चिंतित आरबीआई ने कहा था कि ऐसे निवेश से पहले बैंक आंतरिक नियमों के लिए बोर्ड से अनुमति लें। लिक्विड फंड 3 से 3.5 प्रतिशत तक का प्रतिफल देते हैं। सितंबर 2008 में लीमन ब्रदर्श के धराशायी होने के बाद वैश्विक आर्थिक संकट के गहराने से पिछले साल म्युचुअल फंडों पर दबाव बढ़ गया था और आरबीआई म्युचुअल फंडों के लिए खास उपाय लेकर आया था।
