भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को अनुमति दी है कि जनरल क्रेडिट कार्ड (जीसीसी) के तहत और 25,000 रुपये तक के ओवरड्राफ्ट पर कृषि संबंधी कार्यों के लिए लिए जाने वाले ऋण को प्राथमिक क्षेत्र में डाला जाएगा।
हालांकि इसके लिए शर्त रखी गई है कि ग्रामीण और अर्ध्द-शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के पास 'नो फ्रिल्स' खाते होने चाहिए, तभी उन्हें प्राथमिक क्षेत्र के तहत कृषि के लिए परोक्ष रूप से ऋण मुहैया करवाया जाएगा।
गौरतलब है कि वर्तमान में जीसीसी के तहत बैंकों द्वारा (प्राथमिक क्षेत्र के तहत कृषि के लिए परोक्ष राशि) सिर्फ 50 फीसदी ऋण ही मुहैया कराया जाता है। इसमें कोई शक नहीं कि आरबीआई द्वारा इस बाबत जो दिशा-निर्देश जारी किए जाने हैं, उससे आने वाले दिनों में बैंकिंग क्षेत्र में बड़ी संख्या में आम लोगों का जुड़ाव हो सकेगा।
अभी कुछ दिन पहले की ही बात है जब केंद्रीय बैंक वित्तीय समावेश के अपने मसौदे को लेकर काफी गंभीरता से विचार कर रहा था। यहां वित्तीय समावेश का अर्थ छोटे शहरों, गांवों और कस्बों आदि में रह रहे लोगों को बैंकिंग क्षेत्र से पूरी तरह जोड़ने से है। इसी के मद्देनजर आरबीआई ने बैंकों से कहा कि वे उन जगहों पर अपनी शाखाएं खोलें जहां बैंकिंग सेवाएं नहीं पहुंची हैं।
फिलहाल आरबीआई ने देश में 277 जिलों को चुनाव किया है, जहां पूरी तरह वित्तीय समावेश लागू किए जाएगा। इसके अतिरिक्त आरबीआई केंद्रशासित राज्यों सहित 18 राज्यों के 134 जिलों में भी वित्तीय समावेश का लक्ष्य रखा है। बहरहाल इस वक्त हरियाणा के सभी जिलों, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, उत्तराखण्ड, पांडीचेरी, दमन और दीव, दादर और नागर हवेली और लक्ष्यद्वीप में पूरी वित्तीय समावेश को लागू कर दिया गया है।
बैंकरों के साथ हुई बातचीत में आरबीआई के गर्वनर वाई वी रेड्डी ने बताया कि देश के विकास को लेकर फिलहाल उनकी इच्छाएं पूरी नहीं हो पाई हैं। हालांकि उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बैंकों ने वित्तीय समावेश, खासतौर से बचत खातों के जरिए पूरा कर लिया है।