ट्राई का है कहना, ब्रॉडकास्टर नहीं संजीदा | किराया तय करने में दूरसंचार नियामक को नहीं मिल रही है केबल उद्योग से मदद | | आशीष सिन्हा / नई दिल्ली December 15, 2009 | | | | |
केबल टीवी के लिए किराया तय करने की प्रक्रिया में हो रही देरी के लिए ट्राई ने केबल उद्योग और ब्रॉडकास्टर के आधे मन से की जा रही मदद को दोषी ठहराया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार नियामक को इस क्षेत्र के लिए किराया तय करने के लिए कहा था। कोर्ट ने ट्राई को यह प्रक्रिया सभी पक्षों के साथ बात करके पारदर्शी तरीके से पूरा करने के लिए कहा था।
हालांकि, ट्राई के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक ट्राई ने सभी पक्षों से जो वित्तीय जानकारियां मांगी थीं, उसे पारदर्शी तरीके से मुहैया करवाने में कुछ पक्ष ज्यादा रुचि नहीं दिखला रहे हैं।
उस अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि, 'हमें किराया तय करने की प्रक्रिया में केबल और ब्रॉडकास्ट उद्योग से पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है। जब सभी पक्ष हमें पूरी वित्तीय जानकारी मुहैया ही नहीं करवाएंगे, तो हम किराया तय कैसे कर पाएंगे? इन जानकारियों के बिना हम उनके कारोबार को अच्छी तरीके से समझ ही नहीं पाएंगे।'
इससे पहले अगस्त में ट्राई ने ब्रॉडकास्टरों, केबल ऑपरेटरों और मल्टी सिस्टम ऑपरेटरों (एमएसओ) से उनकी वित्तीय और कारोबारी जानकारियां मांगी थीं। इससे ट्राई को उन इलाकों में केबल टीवी सेवाओं के किराये के मुद्दे पर सलाहकार पत्र बनाने में मदद मिलती, जहां कैस मौजूद नहीं है।
इसकी शुरुआत इस साल 13 मई को हुई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने ट्राई को गैर कैस इलाकों में किराये से संबंधित मामले को देखने के लिए कहा था। कोर्ट ने सभी पक्षों से इस मुद्दे पर दूरसंचार नियामक से पूरा सहयोग करने के लिए कहा था।
ट्राई को सुप्रीम कोर्ट को 31 दिसंबर, 2009 से पहले यह बताना था कि वह ज्यादातर इलाकों में केबल टीवी के लिए किराया कैसे तय करेगी और उसे लागू करने की रणनीति क्या होगी। इस काम में मदद के लिए ट्राई ने सलाहकार फर्म अर्नेस्ट ऐंड यंग को चुना था। उसे केबल और ब्रॉडकास्टिंग कारोबार के सभी पक्षों से वित्तीय आंकड़े जुटाने की जिम्मेदारी दी गई थी।
हालांकि, कई केबल ऑपरेटरों ने इस प्रक्रिया में आर्नेस्ट ऐंड यंग को शामिल करने पर उंगुली उठाई। उन्होंने आंकड़े सुरक्षित रखने की उसकी क्षमता पर भी सवालिया निशान लगाया। मौजूदा किराया 2003 में ही तय किया था, जिसमें इजाफा पर 2005 से रोक लगा दी गई। इसके बाद केबल दरों में कोई भी इजाफे सिर्फ महंगाई को ध्यान में रख कर किया जाता था।
किराया तय के मुद्दे पर ही ब्रॉडकास्टरों व केबल उद्योग और ट्राई के बीच ठनी हुई है। ब्रॉडकास्टर किराये के मुद्दे को बाजार पर छोड़ देना चाहते हैं, जबकि केबल ऑपरेटर और वितरक चैनलों की कीमतों पर सीमा और कमाई में हिस्सेदारी चाहते हैं।
मौजूदा किराया ढांचे के तहत शहर की आबादी को ध्यान में रखकर किराए तय किए जाते हैं। बड़े शहरों के ज्यादा किराए और छोटे शहरों के लिए सबसे कम। सबसे कम किराया इस वक्त 77 रुपये और कर का है। ट्राई सूत्रों के मुताबिक इस किराए को कायम रखा जाएगा।
|