रेडियो कंपनियों के वित्तीय परिणाम जांचेगा मंत्रालय | आशीष सिन्हा / नई दिल्ली December 14, 2009 | | | | |
निजी एफएम रेडियो उद्योग के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय हो सकता है जल्द ही कंपनियों के वित्तीय परिणामों की जांच करे।
निजी एफएम रेडियो प्रसारण (एफएम-3) के तीसरे चरण के लिए नीति की घोषणा से पहले मंत्रालय प्रमुख निजी एफएम रेडियो कंपनियों के वित्तीय घाटे, परिचालन खर्च और दूसरी चीजों की जानकारी हासिल करना चाहता है।
मंत्रालय का यह प्रयास उस वक्त देखने को मिला है जब सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी से कुछ एफएम रेडियो के प्रमुख ब्रांड प्रतिनिधियों ने मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने मंत्रालय के सामने मौजूदा 10 वर्ष की अवधि वाले रेडियो लाइसेंस की अवधि को और पांच साल बढ़ाने की गुहार लगाई है।
गौरतलब है कि कंपनियों के रेडियो लाइसेंस की अवधि 2006 से 2015 तक ही है और वे चाहती हैं कि एफएम-3 की घोषणा से पहले ही उनकी लाइसेंस अवधि को 2020 तक बढ़ा दिया जाए। लाइसेंस अवधि के बढ़ने के साथ ही कंपनियों के बढ़ते घाटे में कमी देखने को मिलेगी।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एफएम-3 नीति को पेश करना चाहता है, जिससे 700 और एफएम स्टेशन का रास्ता खुलेगा। पर मौजूदा रेडियो ऑपरेटरों की ओर से मंत्रालय के सामने समस्याओं के खुलासे के चलते, मंत्रालय कैबिनेट मंजूरी के लिए एफएम-3 के मसौदे को पेश नहीं कर पा रहा। लगभग 40 रेडियो कंपनियां 251 निजी एफएम रेडियो स्टेशन का परिचालन कर रही हैं।
उनका कहना है कि उनका कुल नुकसान परिचालन के सिर्फ चार साल में 2,300 करोड़ रुपये हो चुका है। इसमें एक बारगी प्रवेश शुल्क या ओटीईएफ के साथ परिचालन खर्च शामिल है जबकि कंपनियों का सालाना राजस्व सिर्फ लगभग 800 करोड़ रुपये है। रेडियो ऑपरेटरों का कहना है कि इसकी वजह से निवेशक एफएम-3 में अपना पैसा लगाना नहीं चाहते, जब तक कि सरकार इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती।
एक एफएम रेडियो कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम छुपाए रखने की शर्त पर बताया, 'एक बार जब ओटीईएफ मौजूदा 10 साल के बजाय 15 साल के लिए आगे बढ़ जाता है तो रेडियो उद्योग निवेश के लिहाज से और भी आकर्षक बन जाएगा, क्योंकि तब समय आधार पर मूल्यांकन में इजाफा होगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हमारी मांग पर हमें अपने पिछले साल के वित्तीय आंकड़े दिखाने को कहा है।'
संपर्क करने पर मंत्रालय के उच्च अधिकारी ने बताया, 'हम मौजूदा रेडियो कंपनियों की चिंताओं पर ध्यान देंगे और कानून के दायरे में रहते हुए उनकी मदद के लिए जितना मुनासिब होगा वह हम करेंगे।'
सूत्रों का कहना है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने क्षेत्र नियामक भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) को इस मामले में साथ बुला सकती है, ताकि वह मौजूदा ऑपरेटरों के लिए रेडियो लाइसेंसों की अवधि को और पांच साल बढ़ाने के मामले पर ध्यान दे। इसी दौरान मंत्रालय की योजना कैबिनेट मंजूरी के लिए एफएम-3 के मसौदे को पेश करने की है।
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