सीमेंट लदाई : मांग बढ़ने से बेहतर हुई सेहत | दिशासूचक | | विशाल छाबड़िया / December 07, 2009 | | | | |
नवंबर के महीने में 9 सीमेंट कंपनियों जिनकी बाजार में 55 फीसदी हिस्सेदारी है उनकी लदाई में लगातार सालाना 11 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है।
जबकि सरकार द्वारा प्रायोजित बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के साथ ग्रामीण और अर्धग्रामीण क्षेत्रों से मांग बेहद सकारात्मक रही है। हालांकि रेलवे वैगन की कमी और कुछ बाजारों में मानसून की वजह से लदाई पर नकारात्मक असर पड़ा।
ऐसे में कंपनी के स्तर पर लदाई के ट्रेंड में एक मिला-जुला रूझान साफ नजर आता है। आदित्य बिड़ला समूह जिसमें ग्रासिम और अल्ट्राटेक सीमेंट शामिल है, उसकी सीमेंट लदाई में 15.3 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 19.3 लाख मीट्रिक टन हो गया।
मौजूदा वित्तीय वर्ष में इसकी क्षमता में 4.1 मीट्रिक टन की अतिरिक्त क्षमता दर्ज की गई। इस समूह ने उत्तरी और पश्चिमी बाजार में भी अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया जहां मांग बेहतर थी। उम्मीद है कि समूह की सलाना सीमेंट क्षमता में 3.1 मीट्रिक टन की बढ़ोतरी होगी और यह दिसंबर के अंत में लगभग 49 मीट्रिक टन हो जाएगा।
भविष्य में इसके कारोबार में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की जानी चाहिए। उत्तर भारत के सबसे बड़े सीमेंट खिलाड़ी, श्री सीमेंट के लदाई में 15.3 फीसदी तक की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई क्योंकि मांग में भी काफी तेजी आई। दूसरी तरफ नवंबर में एसीसी और अंबुजा सीमेंट की लदाई में उद्योग की तुलना में कम वृद्धि दर्ज की गई।
अंबुजा की लदाई में 4.7 फीसदी का उछाल आया जबकि एसीसी में एक साल पहले की तुलना में 4 फीसदी की गिरावट आई। विश्लेषकों का कहना है कि रेलवे वैगन की कमी की वजह से एसीसी की लदाई पर असर पड़ा। इसकी वजह यह है कि सरकार ने पहले से ही वैगन का आवंटन खाद्य पदार्थ और खाद की ढुलाई के लिए किया था।
हाल की रिर्पोट में के्रडिट सुईस के विश्लेषक का कहना है कि दोनों कंपनियों के लिए उद्योग के कारोबार की तुलना में कम वृद्धि की संभावित वजह वसूली को बनाए रखने की रणनीति ही शामिल होगी। डीलरों से मिलने वाले फीडबैक से यह संकेत मिलता है कि कंपनियां अपनी प्रीमियम कीमत को बरकरार रख रही हैं।
कुछ प्रमुख खिलाड़ियों मसलन आदित्य बिड़ला समूह भी उत्पादन में बढ़ोतरी के मोर्चे पर बहुत धीमा नजर आया। विश्लेषकों का कहना है कि इससे यह संकेत मिलता है कि वे अतिरिक्त आपूर्ति की दिक्कतों का प्रबंधन करना चाहते थे। पिछले 3-4 महीने में सीमेंट की कीमतों में तेजी से गिरावट हुई।
उसके बाद पिछले कुछ दिनों में कुछ बाजारों में 50 किलोग्राम की सीमेंट की बोरी की कीमतों में 5-15 रुपये की तेजी आई। इसकी वजह यह थी कि आपूर्ति में कमी आई और मांग में तेजी आई। क्षमता बढ़ोतरी की सुनियोजित योजना और सीमेंट मांग में 8-10 फीसदी सालाना लक्षित वृद्धि को देखते हुए कीमतों में लंबे समय तक की तेजी बरकरार रहना संभव नहीं है।
ऐसे में विश्लेषकों का कहना है सीमेंट सेक्टर पर सतर्कता भरा नजरिया अपना रहे हैं खासतौर पर दक्षिण के खिलाड़ी भी काफी गंभीरता से इस स्थिति पर नजर रख रहे हैं। उम्मीद है कि कंपनियों का मुनाफा दबाव में आ जाएगा और अगले वित्तीय वर्ष में इसका असर साफ दिखेगा।
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