मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) के आने से भले ही ग्राहकों को फायदा हो लेकिन इससे दूरसंचार सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों के बहीखाते पर इसका असर जरूर पड़ेगा। विश्लेषकों की माने तो अधिक औसत राजस्व प्रति ग्राहक (एआरपीयू) वाले उपभोक्ताओं के अपने ऑपरेटर बदलने से दूरसंचार कंपनियों के बहीखातों पर असर पड़ेगा। रेलीगेयर हाइकन्स हैरिसन के विश्लेषक हिमांशु शाह ने बताया, 'एमएनपी से जीएसएम सेवाएं मुहैया कराने वाली भारती एयरटेल, आइडिया सैल्युलर और वोडाफोन एस्सार जैसी कंपनियों को आने वाले समय में नई दूरसंचार कंपनियों से अच्छी चुनौती मिलने की संभावना है जिससे उन्हें अधिक एआरपीयू वाले अपने उपभोक्ताओं से हाथ धोना पड़ सकता है। जबकि रिलायंस कम्युनिकेशंस, टाटा डोकोमो और यूनिनॉर के पास एमएनपी के बाद खोने के लिए कुछ भी नहीं है। ' दूरसंचार क्षेत्र में घटती कॉल दरें और प्रत्येक सर्किल में 12-14 खिलाड़ियों की मौजूदगी से बढ़ते मुकाबले के कारण सेवाओं की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। इस कारण कई उपभोक्ता अपने ऑपरेटरों को बदलना चाहेंगे। उन्होंने बताया कि इस कारण उपभोक्ताओं की अच्छी संख्या वाली कंपनी के ग्राहक नई कंपनियों के पास जाते हैं। दूरसंचार नियामक ट्राई ने ऑपरेटर बदलने का शुल्क 19 रुपये तय किया है। इससे पहले से ही भीड़-भाड़ वाले भारतीय दूरसंचार उद्योग में मुकाबला और बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
