पारंपरिक बीमा योजनाओं का होगा मार्क टु मार्केट मूल्यांकन | शिल्पी सिन्हा / मुंबई November 13, 2009 | | | | |
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) जल्द ही बीमा कंपनियों से अपने पूरे निवेश पोर्टफोलियो को मार्क-टु-मार्केट करने का आदेश दे सकता है ताकि कीमतों में बदलाव का संकेत मिल सके।
बीमा नियामक द्वारा उठाए गए इस कदम से जीवन बीमा कंपनियों की पारंपरिक योजनाएं प्रभावित होंगी क्योंकि कंपनियों को पहले से ही इक्विटी शेयर वाले पोर्टफोलियो का मार्क टु मार्केट करना होता है। पारंपरिक व्यवसाय के अंतर्गत इक्विटी पोर्टफोलियो को पहले सही मार्क टु मार्केट किया गया है।
इसके अतिरिक्त, सभी बीमा कंपनियों को रियल एस्टेट में किए गए निवेश का बाजार मूल्य निकालना होगा। वर्तमान में रियल एस्टेट के मूल्यांकन का कोई नियम नहीं है और अधिकांश बीमा कंपनियां इसे बुक वैल्यू के आधार पर निकालती हैं।
एक्चुअरियों ने कहा कि इसका सबसे अधिक प्रभाव देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) पर होगा, जिसके पास पारंपरिक बीमा पॉलिसियां बड़ी संख्या में है। सार्वजनिक किए गए नवीनतम लेखा आंकड़ों, मार्च 2008 के अंत तक, के अनुसार व्यक्तिगत पॉलिसियों का गैर-संबध्द सम एश्योर्ड लगभग 12,80,000 करोड़ रुपये था।
मार्च 2008 के अंत में सरकारी पेपरों में इसका निवेश 3,45,000 करोड़ रुपये से अधिक था। अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों में इसका निवेश तकरीबन 16,000 करोड़ रुपये का था। मार्च 2008 के अंत में रियल एस्टेट में एलआईसी का निवेश आकलित तौर पर 3,664 करोड़ रुपये का था।
पारंपरिक पॉलिसियों के मामले में अधिकांश निवेश सरकारी प्रतिभूतियों में किए जाते हैं और साल दर साल ऐसे पेपरों में एलआईसी का निवेश बढ़ता गया। इसके विपरीत, नई जीवन बीमा कंपनियों द्वारा अंडरराइइट किए गए जोखिमों में से लगभग 90 प्रतिशत यूनिट संबध्द कारोबार के हैं और अधिकांश फंड का निवेश बाजारों में किया गया है। यूलिप में किया गया निवेश पहले से ही मार्क टु मार्केट है।
इसके अतिरिक्त, देनददारियों को भी मार्क टु मार्केट करना पड़ेगा। इसलिए पारंपरिक योजनाओं की देनदारियों के लिए अपेक्षाकृत अधिक पूंजी की जरूरत होगी। एक एक्चुअरी ने कहा, पारंपरिक योजनाओं में अधिक निवेश के परिणामस्वरूप मूल्यांकन घटेगा।
नए नियम मूल्यांकन के दिशानिर्देशों का हिस्सा होंगे, जिसे जल्द ही जारी किया जाना है। नए दिशानिर्देश में बीमा कंपनी के आर्थिक पूंजी और एंबेडेड मूल्य की गणना के तरीके बनाए जाएंगे। वर्तमान में, एंबेडेड मूल्य की गणना के कई तरीके मौजूद हैं।
असके अतिरिक्त एक बीमा कंपनी की आर्थिक पूंजी प्रत्येक कंपनी द्वारा लिखे गए जोखिमों पर आधारित होगा। परिणामस्वरूप, सॉन्वेंसी मार्जिन जो अभी अंडरराइट किए गए व्यवसाय का 1.5 प्रतिशत तय है, आने वाले दिनों में अंडरराइट किए गए जोखिमों के आधार पर भिन्न होगा।
एक्चुरियल सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट जी एन अग्रवाल ने कहा, 'आम तौर पर आर्थिक पूंजी के तहत सॉल्वेंसी की जरूरत से पूंजी की आवश्यकता में 40 प्रतिशत की कमी आएगी।'
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