बुरे वक्त का दौर गुजर चुका है | सवाल-जवाब : चंदा कोछड़, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी, आईसीआईसीआई बैंक | | बीएस संवाददाता / October 30, 2009 | | | | |
आईसीआईसीआई बैंक का अनुमान है कि बुरे दिन अब लद चुके हैं। इसका कहना है कि वित्त वर्ष 2009-10 की दूसरी छमाही में ऋण बुक में बढ़ोतरी होगी।
बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी चंदा कोछड़ ने बिजनेस स्टैंडर्ड से दूसरी तिमाही के परिणामों की घोषण के बाद बातचीत की। पेश हैं उसके महत्वपूर्ण अंश:
साल की शुरुआत में आपने कहा था कि चालू और बचत खाते (कासा) का अनुपात 30 से 32 प्रतिशत पहुंचने के बाद आप ऋण बुक में विस्तार पर विचार करेंगी। अब जब आप लक्ष्य से आगे निकल चुकी हैं तो क्या हमें आपकी ऋण बुक में विस्तार की उम्मीद करनी चाहिए?
हां, हम कुछ खास श्रेणियों जैसे ऑटो ऋण, आवास ऋण, वाणिज्यिक वाहन फाइनैंस और कॉर्पोरेट ऋण जिसमें परियोजना ऋण और बुनियादी ढांचा ऋण शामिल है, के ऋण बुक में विस्तार करने पर ध्यान दे रहे हैं।
और क्या हम शून्य से 5 प्रतिशत के आकलन की तुलना में तेज वृध्दि की उम्मीद करें?
हां, लेकिन जिन श्रेणियों पर हम ध्यान दे रहे हैं उनमें विशुध्द आधार पर यह थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि असुरक्षित ऋण के मामले में हम काफी रुढ़िवादी हैं। वास्तव में, हम ऋण बुक में असुरक्षित ऋण की हिस्सेदारी वर्तमान के 7 प्रतिशत से घटा कर लगभग 5 प्रतिशत करने पर ध्यान दे रहे हैं।
क्या इसका यह मतलब निकलता है कि आप पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड की पेशकश नहीं करेंगी?
हम ऐसा करेंगे लेकिन सोच विचार कर।
कारोबार के मामले में पंजाब नैशनल बैंक आईसीआईसीआई बैंक से आगे निकल चुका है और देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया है।
इसका कोई महत्व नहीं है क्योंकि आप केवल जमा के आधार पर कारोबार की फंडिंग नहीं करते हैं। चीजों को देखने का यह पुराना नजरिया है। वर्तमान परिस्थिति में आपके पास अन्य उधारी के साथ अग्रिम और निवेश भी है। आपको बैलेस शीट का आकार देखना चाहिए और हम अभी भी बड़े हैं।
ऋण बुक में खुदरा और कॉर्पोरेट ऋण की हिस्सेदारी कितनी है?
ऋण पोर्टफोलियो में खुदरा ऋण की हिस्सेदारी लगभग 45 प्रतिशत की है।
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