'...तो पूरा देश नक्सलवाद की चपेट में होगा' | सवाल-जवाब : सलिल शेट्टी, निदेशक सहस्त्राब्दि विकास अभियान | | श्रीलता मेनन / October 18, 2009 | | | | |
संयुक्त राष्ट्र के सहस्राब्दि विकास अभियान के निदेशक सलिल शेट्टी का मानना है कि यदि सरकार ने सहस्राब्दि विकास के लक्ष्यों को हासिल करने की प्रक्रिया दोबारा शुरू नहीं की और इसके लिए पर्याप्त कोष का प्रबंध नहीं किया, तो पूरा देश नक्सलवाद की गिरफ्त में आ जाएगा। पेश है श्रीलता मेनन के साथ हुई शेट्टी की बातचीत के मुख्य अंश:
क्या मातृ एवं शिशु की रक्षा जैसे सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के मामले में भारत की स्थिति स्थिर नहीं है?
हर देश में विकास की एक खास परिभाषा होती है और भारत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एक अहम कदम है, हालांकि इसे पर्याप्त सफलता नहीं मिल पाई है। यदि इस योजना को पर्याप्त सफलता मिल जाए जो कई लक्ष्यों की प्राप्ति स्वत: हो जाएगी। लेकिन हमारा काम जनता की मदद करने का है, ताकि वह सरकार पर दबाव बना सके।
कई देश संयुक्त राष्ट्र आकर तमाम वादे करते हैं और भूल जाते हैं। हाल में एक देश ने इच्छा जताई कि वह बाल अधिकार से संबंधित सम्मेलन समझौते पर हस्ताक्षर करना चाहती है, बाद में पाया गया कि वह पहले से ही इस सम्मेलन का हिस्सा रहा है।
लेकिन गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की ओर से वैचारिक प्रोत्साहन के तमाम उपाय स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सरकार की सक्रियता बढ़ाने में नाकाम रहे हैं। हम नई रणनीति अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों को सार्वजनिक मांग बनाने के लिए हमने चर्च एवं आर्ट ऑफ लिविंग जैसे धार्मिक समूहों के साथ हाथ मिलाया है।
निजी क्षेत्र के बारे में आपका क्या कहना है?
हम दूर संचार कंपनियों के साथ साझेदारी की संभावना भी तलाश रहे हैं और स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक समृद्धि जैसे प्रमुख लक्ष्य हासिल करने में लोगों की मदद के लिए एसएमएस सेवा को प्रमुख साधन बनाने पर विचार कर रहे हैं। हम एल एन मित्तल की कंपनी से भी बातचीत कर रहे हैं, जो मित्तल फाउंडेशन चलाते हैं।
हम उनके साथ स्थानीय निगरानी के लिए साझीदारी करेंगे, जिसे हम जल्दी ही शुरू करने वाले हैं। हम नंदन नीलेकणी के भी संपर्क में हैं और उन तरीकों को ईजाद करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी मदद से अनूठी पहचान संख्या का अधिकतम लाभ उठाया जा सके।
क्या आप समझते हैं कि राष्ट्रीय ग्रमीण स्वास्थ्य मिशन का उदाहरण लिया जा सकता है खासकर इस मामले में कि संस्थागत प्रसव के स्तर पर यह मिशन नाकाम रहा है?
भारत में हर समस्या के लिए एक योजना है। लेकिन इन्हें लागू किए जाने के मामले में इनमें से किसी की भी पहुंच जनता तक नहीं है।
तो अब आप क्या करेंगे ताकि सरकार ऐसा कुछ करे जिसकी पहुंच जनता तक सुनिश्चित हो?
अब हमे सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों को स्थानीय स्तर पर ले जाना होगा। मौजूदा समय से वर्ष 2015 तक हमारे पास 5 साल हैं और हमारे पास सूचना का अधिकार जैसा हथियार है, जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बारे में आपका क्या कहना है?
यदि आप अभी से सहस्रब्दि विकास के लक्ष्यों पर काम नहीं करेंगे तो पूरा देश नक्सलवाद के प्रभाव में आ जाएगा। या तो आज आप लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए 1,000 रुपये खर्च करें या फिर आने वाले समय में सैनिक कार्रवाइयों पर 10,000 रुपये खर्च करें।
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