किसानों को दी गई 60,000 करोड़ रुपये की ऋण माफी योजना का असर आम चुनावों में देखने के बाद केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) और सहकारी बैंकों को पूंजी मुहैया कराने का फैसला किया है। सरकार ने इन बैंकों को तरजीही तौर पर माफ की गई रकम की आपूर्ति करने का फैसला किया है। किसानों को ऋण की कमी नहीं हो इसीलिए केंद्र सरकार इन बैंकों को यह पूरी राशि 2010 तक मुहैया कराने की योजना बना रही है। यानी व्यावसायिक बैंकों से लगभग 1 साल पहले इन बैंकों को माफ किए गए ऋणों की भरपाई कर दी जाएगी। नाम नहीं छापने की शर्त पर वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'पिछले साल बजट में घोषित कृषि ऋण माफी योजना के तहत हमारी प्राथमिकता क्षेत्रीय ग्रामीण और सहकारी बैंक हैं। इन बैंकों को माफ किए गए ऋण की रकम के 70 फीसदी हिस्से की आपूर्ति की जा चुकी है।' इस योजना के तहत देश के लगभग 3.60 लाख छोटे और हाशिए पर पड़े किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने उनके द्वारा लिया गया ऋण माफ करने की घोषणा की थी। सरकार इन बैंकों को अगले साल के मध्य तक बकाया राशि भी देने पर विचार कर रही है। 2008-09 के दौरान सरकार ने करीब 25,000 करोड़ रुपये बैंकों को दिए थे। इसमें से लगभग 17,500 करोड़ रुपये क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों को ही दिए गए थे। बाकी रकम व्यावसायिक बैंकों को दी गई थी। चालू वित्त वर्ष के दौरान जारी किए गए 15,000 करोड़ रुपये में से क्षेत्रीय ग्रामीण और सहकारी बैंकों को 10,500 करोड़ रुपये दिए गए है जबकि व्यावसायिक बैंकों को 4,500 करोड़ रुपये की ही भरपाई की गई है। अधिकारी ने बताया कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों को प्राथमिकता देने की वजह है कि इनके पास व्यावसायिक बैंकों की तरह फंड जुटाने का और कोई जरिया नहीं है। किसानों को नए ऋण देने में इन बैंकों के सामने पूंजी की समस्या नहीं हो इसीलिए सरकार ने इन्हें अतिरिक्त पूंजी भी मुहैया कराई है। सरकार 2010-11 में तीसरी किस्त के तहत 12,000 करोड़ रुपये जारी करेगी। इसमें से 10,000 करोड़ रुपये क्षेत्रीय ग्रामीण और सहकारी बैंकों के पास जाएंगे। चौथी और आखिरी किस्त में सरकार 8,314 करोड़ रुपये जारी करेगी और इससे व्यावसायिक बैंकों द्वारा माफ किए गए ऋणों का भुगतान किया जाएगा। जल्द मिलेगी बकाया राशि साल 2010 तक क्षेत्रीय और सहकारी बैंकों को बकाया राशि उपलब्ध कराने की है योजना इन बैंकों को अभी तक मिल चुका है 70 फीसदी इस साल व्यावसायिक बैंकों को मिले 4,500 करोड़ रुपये
